Assam

कोकराझाड़ में आयोजित दो दिवसीय टीचर ट्रेनिंग वर्कशॉप का समापन

कोकराझार में आयोजित दो दिवसीय टीचर ट्रेनिंग वर्कशॉप का  सफल संपन।

– शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु बीटीसी प्रशासन , इंफोसिस फाउंडेशन और अगस्त्य इंटरनेशनल फाउंडेशन की संयुक्त पहल

कोकराझाड़ (असम), 2 जुलाई (Udaipur Kiran) । बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी), इंफोसिस फाउंडेशन और अगस्त्य इंटरनेशनल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में कोकराझाड़ में आयोजित दो दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला बुधवार को सफलता के साथ संपन्न हुआ। यह कार्यशाला उन 300 से अधिक शिक्षकों के लिए आयोजित की गई, जिन्हें पूर्व में बेंगलुरु में एसटीईएम आधारित प्रशिक्षण दिया गया था। इस श्रृंखला का पहला चरण कोकराझाड़ में 1 और 2 जुलाई को आयोजित किया गया, जिसमें 40 से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया।

इस प्रशिक्षण का उद्देश्य शिक्षकों को एक मंच पर लाकर उनके अनुभव साझा कराना, नवीन शिक्षण विधाओं से अवगत कराना और एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियंत्रण और गणित) शिक्षा के प्रति उनमें उत्साह जगाना है।

कार्यशाला में कोकराझाड़ और कचुगांव ब्लॉकों के शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतिभागी शिक्षकों ने एसटीईएम के क्षेत्र में अपने अनुभव साझा किए और रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से नई तकनीकों को सीखा।

कार्यक्रम के प्रथम दिन विशेष अतिथि के रूप में कोकराझाड़ के बीईईओ सुधांशु साहा, कचुगांव के बीईईओ पवित्र हाजोवारी और डीपीओ जसमानिक ब्रह्म उपस्थित रहे।

आज अंतिम दिन बीटीसी के प्रिसिंपल सेकटरी आकाश दीप उपस्थित रहे। अतिथियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना करते हुए शिक्षकों से अपेक्षा जताई कि वे इन नवाचारों को कक्षा शिक्षण में लागू करेंगे।

इस कार्यशाला को सफल बनाने में बेंगलुरु से आए अगस्त्य फाउंडेशन के मुनिराज और वेंकटेश ने अहम भूमिका निभाई। स्थानीय टीम के रीजनल एक्सपीरियंस लीडर रमेश कुमार सिंह, एरिया लीडर संजीव मिश्रा, अश्विनी और टीम के अन्य सदस्यों उरैना, शांति, प्रांजल, भाओखुंगरी, प्रीतम, मनोज और जैकलॉन्ग ने विभिन्न सत्रों के संचालन में सक्रिय योगदान दिया।

यह प्रशिक्षण श्रृंखला अब गोसाइगाॅव, चिरांग, बाक्सा और उदालगुरी जिलों में भी आयोजित की जाएगी। प्रत्येक जिले में दो-दिवसीय कार्यशालाएं 1 जुलाई से 20 जुलाई के बीच आयोजित की जाएंगी।

इस पहल का मूल उद्देश्य शिक्षकों को एसटीईएम शिक्षा के प्रति प्रेरित करना और उन्हें 21वीं सदी की शैक्षिक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है। इस तरह की प्रशिक्षण कार्यशालाएं क्षेत्रीय शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही हैं।————–

(Udaipur Kiran) / किशोर मिश्रा

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