
धर्मशाला, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश विधान सभा द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र-2 का वार्षिक सम्मेलन मंगलवार को उद्देश्यपूर्ण तथा सार्थक चर्चा के साथ सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन को कुल आठ राज्यों की विधान सभाओं तथा तेलंगाना विधान परिषद के चेयरमैन समेत कुल 38 प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया तथा सार्थक चर्चा के माध्यम से भविष्य की उम्मीदों तथा परिकल्पनाओं को जागृत करने का प्रयास किया।
सम्मेलन के दूसरे और आखिरी दिन मंगलवार सुबह आरम्भ हुए सत्र में प्रस्तावित दो महत्वपूर्ण विषयों “अनुच्छेद 102 (2) और 101 (2) की 10वीं अनुसूची के तहत दलबदल के आधार पर अयोग्यता का प्रावधान” तथा “विधान सभाओं में एआई (कृत्रिम बुद्विमता) के उपयोग” पर गहरा मंथन किया गया जिस पर सभी प्रतिनिधियों ने अपने सम्बोधनों द्वारा महत्वपूर्ण सुझाव दिए तथा दोनों विषयों पर स्वतन्त्र भाव के साथ स्वतन्त्र विचारों की अभिव्यक्ति की।
इस अवसर पर सत्र को सम्बोधित करते हुए विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि सम्मेलन में वक्ताओं ने अपने प्रखर तथा स्वतन्त्र विचारों से हम सभी को अवगत करवाया। पठानिया ने कहा कि वह एआई (कृत्रिम बुद्विमता) पर ज्यादा नहीं बोलना चाहते क्योंकि डिजिटल अभियान में हिमाचल प्रदेश अग्रणी रहा है। देश की सर्वप्रथम ई-विधान प्रणाली का सूत्रधार भी हिमाचल है जिसका शुभारम्भ वर्ष 2014 में हुआ था। इस विषय पर उनके भी वहीं विचार जो आप सभी ने सांझा किए हैं।
पठानिया ने कहा कि दलबदल कानून पर उन्हीं के एक फैसले से छह विधान सभा सदस्यों को अपनी सदस्यता खोनी पड़ी थी जिसको उच्च न्यायालय ने भी अपनी मान्यता दी थी। पठानिया ने कहा कि दलबदल कानून को और भी मजबूत तथा सशक्त बनाए जाने की आवश्यकता है ताकि जनप्रतिनिधि लोगों के विश्वास को बनाए रखते हुए इसकी अवहेलना न कर सकें। यदि दलबदल कानून सख्त होगा तो सरकार भी पूरे आत्म विश्वास के साथ कार्य करेगी तथा अपना निर्धारित कार्यकाल भी पूरा करेगी।
पठानिया ने यह भी कहा कि विधान सभा ने इस कानून को पारित कर दिया है जिसमें प्रावधान किया है कि कोई भी सदस्य अगर दलबदल कानून के तहत अपनी सदस्यता खोता है तो वह विधान सभा से मिलने वाली सभी सुविधाओं व पेंशन से वंचित होगा तथा अगले छह वर्षों तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य घोषित होगा।
(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया
