RAJASTHAN

मोबाइल सर्जिकल यूनिट राजस्थान को पुनः सुचारू रूप से बहाल करने की मांग

मोबाइल सर्जिकल यूनिट राजस्थान के विलुप्त पदों की पुनः सुचारू रूप से बहाल करने की मांग

जयपुर, 1 जुलाई (Udaipur Kiran) । मोबाइल सर्जिकल यूनिट राजस्थान जयपुर (एमएसयू) जयपुर के सेवानिवृत्त स्टाफ की ओर से गठित मोबाइल सर्जिकल यूनिट बचाओ संघर्ष समिति ने इकाई की गिरती स्थिति पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार से निवेदन किया है कि वे इस यूनिट के पूर्व के सभी चिकित्सकीय व प्रशासनिक पदों को पुनः सुचारू बहाल करें। ताकि यह सेवा पुनः सुचारू रूप से अपनी पूर्ण क्षमता के साथ गरीबों और चिकित्सा से वंचित वर्ग तक पहुंच सके।

मोबाइल सर्जिकल यूनिट बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक रामसहाय ब्रह्मभट्ट ने बताया कि हम राज्य सरकार में उच्च पदाधिकारियों जैसे राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, पूर्व प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ, भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान अध्यक्ष मदन राठौर सहित अन्य जनप्रतिनिधी को यह ज्ञापन दे चुके है पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। हमारा यही मकसद है कि सरकार इस याचिका को गंभीरता से ले और इस इकाई को पुनः बहाल करें।

मोबाइल सर्जिकल यूनिट बचाओ संघर्ष समिति महामंत्री मोहन लाल शर्मा ने बताया कि संघर्ष समिति द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन के अनुसार, भ्रमणशील शल्य चिकित्सा इकाई की स्थापना वर्ष 1956 में राजस्थान के सुदूर ग्रामीण एवं वंचित क्षेत्रों को स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के उद्देश्य से की गई थी। यह एशिया की एकमात्र इकाई है, जिसमें “अ” श्रेणी की सभी चिकित्सा सुविधाओं सहित 500 शैय्याओं का चलता-फिरता अस्पताल संचालित होता रहा है। आवश्यकता पड़ने पर इसकी क्षमता को 1000 शैय्याओं तक बढ़ाई जा सकती है। अब तक इस यूनिट द्वारा करीब 1,200 से अधिक शिविर आयोजित किये गए है जिसमे 41 लाख मरीजों को ओपीडी सुविधा तथा 4.35 लाख सर्जिकल ऑपरेशन द्वारा उपचार प्रदान किया जा चुका है। वर्ष 2015 से 2020 तक ही 45 शिविर आयोजित कर 56,557 ओपीडी मरीजों को सेवा दी गई, जिनमें 10,874 ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए गए।

मीडिया प्रभारी मदनलाल डांगी ने बताया क‍ि मार्च 2024 में राज्य सरकार द्वारा इस यूनिट के कई पदों को समाप्त कर दिया गया, जिससे यूनिट का संचालन बाधित हुआ। वर्तमान में केवल एमबीबीएस स्तर के चिकित्सा अधिकारी नियुक्त हैं, जिससे जटिल ऑपरेशन व विशेषज्ञ सेवाएं बाधित हैं। कुल 165 पद स्वीकृत थे जिनमें से मात्र 27 पद वर्तमान में शेष रह गए हैं। इसके अलावा लेखाकर्मी के पद स्वीकृत न होने कारण सभी काम बाधित हो रहे हैं।

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(Udaipur Kiran)

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