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गौ राष्ट्र यात्रा पहुंची जोधपुर : देसी गौवंश के वैज्ञानिक पुनर्जागरण पर जोर

jodhpur

जोधपुर, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान के अध्यक्ष भारत सिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में राष्ट्रव्यापी गौ राष्ट्र यात्रा आज जोधपुर स्थित गोसंवर्धन आश्रम मोकलावास पहुँची। इस आश्रम में यात्रा टीम का भव्य और पारंपरिक स्वागत किया गया, जो विशेष रूप से थारपारकर नस्ल सुधार के लिए समर्पित है। यात्रा का यह पड़ाव देसी गायों के संरक्षण, जैविक कृषि के प्रचार और ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के अपने व्यापक उद्देश्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ।

मोकलावास आश्रम में गौ राष्ट्र यात्रा के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण आया, जब देश के पहले पंचगव्य चिकित्सा पाठ्यक्रम का भव्य विमोचन किया गया। यह पहल पंचगव्य उत्पादों के औषधीय और चिकित्सीय गुणों को वैज्ञानिक मान्यता दिलाने तथा उनके उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

यात्रा टीम ने गोसंवर्धन आश्रम में चल रहे अन्य महत्त्वपूर्ण उपक्रमों का भी गहन अवलोकन किया। इनमें थारपारकर नस्ल सुधार के प्रयासों के साथ-साथ गोचर विकास, जल संरक्षण, वन विकास और पंचगव्य उत्पाद निर्माण से संबंधित कार्य प्रमुख थे। यह आश्रम गौ-आधारित सर्वांगीण विकास के एक सफल मॉडल के रूप में उभरा है।

गोसंवर्धन आश्रम मोकलावास, जोधपुर के संरक्षक राकेश निहाल ने गौ राष्ट्र यात्रा टीम का पूरे उत्साह के साथ स्वागत किया और यात्रा की मंगलमय सफलता की कामना की। इस अवसर पर ग्रामीण महिलाओं ने अपने पारंपरिक नृत्य और ढोल-थाली की थाप के साथ यात्रा टीम का आत्मीय अभिनंदन किया, जो देसी गौवंश और संस्कृति के प्रति उनके गहरे सम्मान को दर्शाता है।

इस अवसर पर दीपक लालवानी, लीलावती निहाल, वनिता अग्रवाल सहित क्षेत्र के अनेक गौपालक और जागरूक ग्रामीण उपस्थित रहे, जिन्होंने गौवंश संरक्षण के इस महाअभियान के प्रति अपना अटूट समर्थन व्यक्त किया।

अध्यक्ष भारत सिंह राजपुरोहित ने अपने संबोधन में गौवंश के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि देसी गायें केवल परंपरा का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि ये ग्रामीण भारत की आत्मनिर्भरता की कुंजी हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गौ राष्ट्र यात्रा का उद्देश्य गौवंश आधारित जीवनशैली को बढ़ावा देना, युवाओं को देसी नस्लों के वैज्ञानिक उपयोग की ओर प्रेरित करना और ग्राम्य भारत को वास्तविक अर्थों में आत्मनिर्भर बनाना है। जोधपुर में मिली यह सकारात्मक प्रतिक्रिया और व्यापक भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि देश का ग्रामीण समाज आज भी गौ-संवेदना और विकास के बीच एक मज़बूत सेतु बनने को तत्पर है।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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