


भोपाल, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । भोपाल गैस त्रासदी के बाद 40 साल से यूनियन कार्बाइड कारखाने में डम्प पड़े 337 मीट्रिक टन रासायनिक (जहरीले) कचरे को आखिरकार निस्तारण कर दिया गया है। हाई कोर्ट के निर्देश पर पीथमपुर स्थित संयंत्र में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) के विशेषज्ञों की निगरानी में इस जहरीले कचरे काे सफलतापूर्वक नष्ट किया गया। यह जानकारी मध्य प्रदेश सरकार ने सोमवार को ही मप्र हाई कोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्य खंडपीठ में पेश की गई कचरे के विनिष्टिकरण की रिपोर्ट में दी गई थी।
एसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने मंगलवार को बताया कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को तकीनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में नष्ट किया गया है। शुरुआत में 30 टन कचरे को परीक्षण के लिए जलाया गया था और फिर मई से जून तक बाकी 307 टन कचरा पूरी तरह जला दिया गया। इस जहरीले कचरे के दहन के दौरान 19.157 मीट्रिक टन अतिरिक्त अपशिष्ट और एकत्र हुआ है, जिसे आगामी 3 जुलाई को नष्ट किया जाएगा। अब इस मामले में 31 जुलाई को अगली सुनवाई हाई कोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल की युगलपीठ के समक्ष होगी।
यूनियन कार्बाइड के रासायनिक कचरे के विनष्टीकरण की प्रक्रिया का ट्रायल रन 27 फरवरी से 12 मार्च, 2025 के बीच किया गया था, जिसमें 30 मीट्रिक टन कचरे की टेस्टिंग हुई। इसके बाद फाइनल निस्तारण की प्रक्रिया 270 किलो प्रति घंटे की गति से चली, जो 30 जून की रात करीब एक बजे पूरी हुई। संयंत्र में इस दौरान कई आधुनिक व्यवस्थाएं की गईं। जैसे- मर्करी एनालाइजर की ऑनलाइन मॉनिटरिंग, सीईएमएस डिस्प्ले सिस्टम, वायु गुणवत्ता निगरक प्रणाली, चूना मिश्रण की ब्लेंडिंग सुविधा, डीजल-पानी प्रवाह मीटर आदि।
इस प्रक्रिया के दौरान आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव की जानकारी नहीं मिली है। कचरा विनष्टीकरण के बाद संयंत्र में 850 मीट्रिक टन राख और अवशेष एकत्र हुए हैं। इन्हें एसपीसीबी की अनुमति मिलने के बाद एक विशेष लैंडफिल सेल में वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाएगा। कोर्ट ने इस लैंडफिल प्रक्रिया पर विशेषज्ञ रिपोर्ट भी तलब की है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई, 2025 को होगी जिसे जस्टिस अतुल श्रीधरन और दिनेश कुमार पालीवाल की खंडपीठ सुनेगी।
वर्ष 1984 में 2-3 दिसम्बर की रात भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव हुआ था। इस हादसे में हजारों लोगाें की माैत हुई थी और लाखों प्रभावित हुए थे। यह दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी कही जाती है। इसके बाद कारखाने में बचा जहरीला कचरा नष्ट करना सालों तक बड़ी चुनौती बनी रही। जहरीले कचरे के निपटान का मामला वर्ष 2004 में भोपाल निवासी आलोक सिंह की याचिका से शुरू हुआ था, जिनकी मृत्यु के बाद हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर इसे जारी रखा था।———————-
(Udaipur Kiran) तोमर
