West Bengal

कसबा लॉ कॉलेज सामूहिक दुष्कर्म मामला : जांच टीम को मिले अहम परिस्थितिजन्य साक्ष्य

तृणमूल नेताओं के साथ मनोजित
अभिषेक बनर्जी के साथ मनोजित मिश्र

कोलकाता, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । कसबा लॉ कॉलेज की छात्रा से गैंगरेप के मामले में जांच कर रही पुलिस टीम को कुछ अहम परिस्थितिजन्य साक्ष्य हाथ लगे हैं, जो पीड़िता के बयान से मेल खाते हैं। ये साक्ष्य 25 जून की शाम हुई घटना में गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपितों के खिलाफ आरोपों की पुष्टि करते हैं।

जांच में शामिल एक अधिकारी के अनुसार, पहला अहम साक्ष्य कॉलेज परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज है। इसमें यह साफ दिखाई दे रहा है कि पीड़िता को कॉमन रूम से घसीटते हुए गार्ड रूम तक ले जाया गया, जहां उसके साथ यौन शोषण की वारदात को अंजाम दिया गया।

दूसरा साक्ष्य गार्ड रूम में दो बेंचों की स्थिति से जुड़ा है। दोनों बेंचों को इस तरह से जोड़ा गया था कि वे एक बिस्तर जैसी आकृति में दिखाई देती हैं, जिस पर एक कपड़ा भी डाला गया था। यह उस स्थान की पुष्टि करता है जहां घटना हुई थी।

तीसरा अहम साक्ष्य आरोपित तीनों युवकों के उन कपड़ों से जुड़ा है, जो उन्होंने घटना के समय पहने थे। ये कपड़े जांच में अहम कड़ी साबित हो सकते हैं।

इन सबके अतिरिक्त दो आरोपितों —जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी —के बयान भी जांच में मददगार साबित हो रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया है कि इस पूरी घटना को पहले से योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया, जिसमें तीसरे आरोपित मनोजीत मिश्रा ने पीड़िता को निशाना बनाया। आरोप है कि इस पूरे अपराध की वीडियो रिकॉर्डिंग कर उसे ब्लैकमेल करने की योजना भी बनाई गई थी।

जांच टीम यह भी पता लगाने में जुटी है कि क्या यह वीडियो क्लिप किसी अन्य व्यक्ति तक पहुंचाई गई है या नहीं। सूत्रों के मुताबिक आरोपितों के मोबाइल फोन से कई आपत्तिजनक वीडियो क्लिप भी बरामद हुए हैं, विशेष रूप से मिश्रा के फोन से, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह इस तरह की अश्लील सामग्री का आदी था।

कॉलेज प्रशासन ने भी मामले में आंतरिक अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है। कॉलेज के पूर्व छात्र और अस्थायी कर्मचारी मनोजीत मिश्रा को पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। वहीं, अहमद और मुखर्जी —जो वर्तमान में कॉलेज के छात्र हैं —को निष्कासित करने का निर्णय लिया गया है।

हालांकि घटना के चार दिन बीतने के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से अब तक कोई बयान या प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने भी अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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