West Bengal

तृणमूल युवा संगठन में नौ दिनों में दोबारा फेरबदल, हुगली-श्रीरामपुर जिले में बदले गए अध्यक्ष

तृणमूल युवा संगठन में नौ दिनों में दोबारा फेरबदल! हुगली-श्रीरामपुर जिले में बदला गया अध्यक्ष, प्रियांका अधिकारी को मिली कमान

प्रियांका अधिकारी को मिली कमान

हुगली, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । तृणमूल कांग्रेस ने हाल ही में राज्य और ज़िला स्तर पर अपने संगठन में बड़े बदलाव किए हैं। इसी कड़ी में पार्टी ने अपने युवा मोर्चा में भी कई नए चेहरों को जगह दी। इन बदलावों के महज नौ दिन बाद ही हुगली-श्रीरामपुर सांगठनिक जिला में पार्टी ने फिर अध्यक्ष पद पर फेरबदल कर दिया है, जिससे अटकलें तेज़ हो गई हैं कि क्या शीर्ष नेतृत्व बदलाव से पूरी तरह संतुष्ट नहीं था?

गत 21 जून को तृणमूल ने राज्य के अन्य जिलों की तरह हुगली-श्रीरामपुर जिले के लिए भी युवा संगठन के पदाधिकारियों की सूची जारी की थी। इसमें अरिजीत बनर्जी को जिला युवा अध्यक्ष और प्रियांका अधिकारी को उपाध्यक्ष बनाया गया था।

लेकिन महीने के अंत में, सिर्फ नौ दिन बाद, पार्टी ने एक नई सूची जारी की जिसमें प्रियांका अधिकारी को अध्यक्ष पद पर बैठा दिया गया, जबकि अरिजीत बनर्जी को प्रमोट कर पार्टी ने उन्हें युवा तृणमूल के राज्य स्तर पर ‘सचिव’ के पद पर नियुक्त किया।

अब सवाल यह है कि ज़िले में उपाध्यक्ष पद फिलहाल रिक्त है —वहां अगला चेहरा कौन होगा, यह देखना बाकी है।

अचानक हुए इस फेरबदल को लेकर पार्टी की ओर से कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई गई है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, बदलाव के पीछे स्थानीय गुटबाज़ी और राजनीतिक समीकरण हो सकते हैं।

अरिजीत बनर्जी को विधायक सुदीप्त रॉय का करीबी माना जाता है।

वहीं प्रियांका अधिकारी को सांसद कल्याण बनर्जी का विश्वासपात्र कहा जाता है।

यह गुटीय समीकरण इस बदलाव की पृष्ठभूमि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

नई ज़िम्मेदारी मिलने पर प्रियांका अधिकारी ने कहा कि यह पूरी तरह से पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी का फैसला है। जब मुझे उपाध्यक्ष बनाया गया, तब भी मैंने विनम्रता से स्वीकार किया। आज भी मैं वही करूंगी।

वहीं, पद से हटाए गए अरिजीत बनर्जी ने भी शालीनता दिखाई और कहा, “मैं आभारी हूं कि पार्टी ने मुझे राज्य स्तर की ज़िम्मेदारी दी है। मैं फैसले को सिर झुकाकर स्वीकार करता हूं।”

पार्टी के आंतरिक समीकरणों और नेतृत्व के फैसलों की यह नई कड़ी यह संकेत देती है कि तृणमूल कांग्रेस लगातार अपने संगठन को परिवर्तन और सशक्तीकरण के रास्ते पर ले जाने की कोशिश कर रही है। लेकिन इस तरह के बार-बार फेरबदल से यह भी सवाल खड़ा होता है कि क्या संगठन में स्थिरता की कमी है, या यह रणनीतिक संतुलन साधने की कवायद है।

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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय

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