
लखनऊ, 30 जून (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी की ओर से सिंधी संस्कृति में बच्चों की लोक कथाएं विषय पर संगोष्ठी तथा बच्चों के एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। सिंधु भवन में आयोजित कार्यक्रम में सर्वप्रथम भगवान झूलेलाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नानकचंद लखमानी, दीपक चॉदवानी, दुनीचन्द, सत्येंद्र भवनानी, प्रकाश गोधवानी, सुरेश छबलानी द्वारा कार्यक्रम का प्रारम्भ किया गया।
मुख्य वक्ता हिमानी ने बताया कि सिंधी संस्कृति मे बच्चों हेतु न केवल गीत वरन इसमें ऐसी लोरियॉ हैं, जो बच्चों को साहसी बनने हेतु प्रेरित करती है, सुम्ह मुंहिजा बारडा़ गिचीअ जा हारड़ा। पींघो तुहिंजो झूले। वहीं नीता ने अपने सम्बोधन मे सिंधी लोक कथाओं में बच्चाें के गीत व गुझारतू (पहेलियां) पर प्रकाश डाला। वैष्णवी भाटिया ने बच्चों के खेलकूद को सिंधी सस्कृति से जोड़ते हुये छोटे बच्चों में बचपन से सिंधी भाषा सीखने के लिए प्रेरित करने हेतु विभिन्न गतिविधियों को कराये जाने पर जोर दिया।
संगोष्ठी के उपरान्त बच्चों द्वारा सिंधी गीतों पर नृत्य, लाडा, लोरी, कविता, पल्लव आदि पर अत्यन्त प्रभावशाली प्रस्तुति की। इस कार्यक्रम में लगभग 35 बच्चों ने सहभागिता की। कार्यक्रम में सुधानचंद चंदवानी, कनिका गुरवानी, लाजवंती लालवानी द्वारा निर्णायक का कार्य किया गया। सिंधु भवन में लखनऊ के सिंधी समाज के गणमान्य लोगों अशोक चांदवानी, दिनेश मूलवानी, कनिका गुरूनानी, डॉ. कोमल असरानी आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अन्त में अकादमी निदेशक अभिषेक कुमार अखिल ने आये हुए आगुन्तकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि बच्चों द्वारा इस प्रकार की सहभागिता अत्यन्त प्रशंसनीय है और ये अकादमी का भी उत्साहवर्द्धन करती है। कार्यक्रम संयोजक प्रकाश गोधवानी ने सभी के प्रति आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।
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(Udaipur Kiran) / श.चन्द्र
