Uttrakhand

राज्यपाल ने की ले. जनरल शक्ति गुरंग की आत्मकथा ‘ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग’ का विमोचन

राज्यपाल गुरमीत सिंह लेफ्टिनेंट जनरल शक्ति गुरंग की आत्मकथा ‘ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग’ का विमोचन करते।

देहरादून, 29 जून (Udaipur Kiran) । राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने रविवार को कैंब्रियन हॉल ऑडिटोरियम, देहरादून में ले. जनरल शक्ति गुरंग (से.नि.) की आत्मकथा “ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग” का औपचारिक विमोचन किया।

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने पुस्तक के विमोचन अवसर पर जनरल गुरंग की सराहना करते हुए कहा, “यह पुस्तक युवाओं, विशेषकर रक्षा सेवाओं में जाने की आकांक्षा रखने वालों के लिए प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक सिद्ध होगी।” उन्होंने सभी सैन्य वयोवृद्धों से आग्रह किया कि वे भी अपने अनुभवों को पुस्तक रूप में साझा करें, ताकि समाज को लाभ मिल सके। ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग एक ऐतिहासिक गाथा है, जो भारतीय सेना में उच्च पद तक पहुंचने वाले पहले जातीय गोरखा अधिकारी की यात्रा को दर्शाती है। गोरखाओं की पारंपरिक सेवा रेजिमेंटों से अलग, उन्होंने द ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट से कमीशन प्राप्त किया और उसी रेजिमेंट के कर्नल बने। उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एक अग्रिम कोर की कमान संभाली और सेना मुख्यालय में मिलिट्री सेक्रेटरी के रूप में सेवानिवृत्त हुए। यह आत्मकथा व्यक्तिगत अनुभवों, रोचक प्रसंगों और ऐतिहासिक तथ्यों से भरपूर है। यह न केवल जनरल गुरंग की सैन्य यात्रा को प्रस्तुत करती है, बल्कि भारतीय गोरखा समुदाय की पहचान, उनकी परंपराएं और भारत की राष्ट्र-निर्माण में उनकी भूमिका को भी उजागर करती है। इसमें यह भी बताया गया है कि स्वतंत्रता के समय अंडमान और निकोबार द्वीपों को गोरखा रेजिमेंटों के बदले कैसे सौंपा गया-एक तथ्य जो बहुत कम लोगों को ज्ञात है। कश्मीर, उत्तर-पूर्व और म्यांमार में रक्षा एटैशी के रूप में सेवा देने वाले जनरल गुरंग ने आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी इस पुस्तक में सैन्य प्रशासन, मानव संसाधन प्रबंधन और रणनीतिक मुद्दों पर दुर्लभ दृष्टिकोण मिलता है।

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(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

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