
नई दिल्ली, 28 जून (Udaipur Kiran) । भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में आयोजित ‘चेंज मेकर्स 2025 समर बूटकैंप’ का सफल समापन हुआ। इस आयोजन में देशभर के 11वीं, 12वीं और स्नातक प्रथम वर्ष के छात्रों ने हिस्सा लिया और पर्यावरण से जुड़ी विभिन्न गंभीर समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए। छात्रों ने अपनी मेहनत से ऐसे नवाचार और नमूने तैयार किए जो प्रदूषण, जल संकट, गर्मी की लहरों, प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरे जैसी समस्याओं के व्यावहारिक हल सुझाते हैं।
यह तीन सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम 9 जून से शुरू होकर 27 जून तक चला, जिसमें 106 विद्यार्थियों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों को 18 समूहों में बांटा गया और हर समूह को एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या पर काम करने का अवसर दिया गया। प्रदर्शनी में छात्रों ने ऐसे समाधान प्रस्तुत किए जो किसानों की सिंचाई में मदद कर सकते हैं। वाहनों से निकलने वाले धुएं को नियंत्रित कर सकते हैं। घरों में बेकार पानी को फिर से उपयोग में लाने की व्यवस्था कर सकते हैं। कचरे को अलग-अलग करके उसका बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं। समुद्रों में प्लास्टिक के खतरे को कम कर सकते हैं।
दिल्ली की एक छात्रा अनिशा शर्मा ने बताया कि गर्मी की लहरों से बचाव के लिए जन-जागरूकता अभियान से जुड़ी मोबाइल योजना पर काम करते हुए उन्होंने टीम भावना और साझा सोच का महत्व सीखा। पारंपरिक ‘हलमा’ की भावना- बिना किसी स्वार्थ के एक साथ काम करना — उन्हें समझ में आया।
एक अन्य छात्रा पार्थिवी नरूला ने बताया कि समुद्री प्लास्टिक से निपटने के लिए एक विशेष प्रकार के जैविक पदार्थ को विकसित करते समय उन्हें प्रयोगशाला में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन वहीं से उन्हें सबसे अधिक सीखने को मिला।
फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे के छात्र सैयद अब्बास हैदरी ने कहा कि संस्थान के नवाचार केंद्र में काम करना, शिक्षकों और मेंटरों से मार्गदर्शन लेना और आधुनिक प्रयोगशालाओं में काम करना उनके लिए एक यादगार अनुभव रहा।
आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर जय धारीवाल ने बताया कि यह देखना उत्साहजनक था कि छात्रों ने समस्याओं की पहचान से लेकर समाधान तक का पूरा सफर स्वयं तय किया। विद्यार्थियों ने रचनात्मक सोच, विज्ञान, तकनीक और सामाजिक दृष्टिकोण को जोड़कर जो समाधान प्रस्तुत किए, वे वास्तव में प्रेरणादायक हैं।
यह प्रशिक्षण शिविर आईआईटी दिल्ली के अकादमिक संपर्क कार्यालय और नवाचार प्रयोगशाला द्वारा आयोजित किया गया। इसमें छात्रों को न केवल प्रयोगात्मक सीख दी गई, बल्कि उन्हें स्वच्छता अभियान, प्रकृति भ्रमण और जलवायु पर चर्चा जैसे अनुभवों से भी जोड़ा गया।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
