
—राजकीय चिकित्सा अधिकारी ने मानव शरीर की डमी पर सीपीआर देने की लाइव प्रस्तुति दी
वाराणसी,27 जून (Udaipur Kiran) । चिकित्सा अधिकारी डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने शुक्रवार को जिलाधिकारी सुरेन्द्र कुमार,एडीएम फाइनेंस वंदिता श्रीवास्तव व अन्य अफसरों की मौजूदगी में मानव शरीर की डमी पर सीपीआर देने की लाइव प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि कार्डियक अरेस्ट होने पर पहला तीन मिनट गोल्डन टाइम होता है। अगर नौ मिनट तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिले तो व्यक्ति ब्रेन डेथ का शिकार हो सकता है। इस समय मरीज को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है।
डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने कार्डियक अरेस्ट आने पर बरती जाने वाली सावधानियों और “सीपीआर “ देने के तरीकों का खास तौर पर उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। आजकल व्यायाम और नृत्य करते समय भी लोगों को दिल का दौरा पड़ रहा है। ऐसी घटनाओं में देश के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है। ऐसे समय में सीपीआर देने की जानकारी अधिक से अधिक लोगों को होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि सीपीआर एक मेडिकल थेरेपी की तरह है। इससे आने पर मरीज को सीपीआर देते हुए अस्पताल पहुंचाया जाता है। सीपीआर तब तक देते रहना चाहिए जब तक एंबुलेंस न आ जाए या मरीज अस्पताल या विशेषज्ञ चिकित्सक के पास नहीं पहुंच जाए। ऐसा करने से मरीज के बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि अगर व्यक्ति की सांस सा धड़कन रुक गई है तो ऑक्सीजन की कमी से शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगी है। इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है। सही समय पर सीपीआर और इलाज शुरू नहीं होने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि सीपीआर के लिए सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है। उसकी नाक और गला चेक कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है। इसके बाद अपने दोनों हाथों की मदद से विशेष तरीके से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में तेजी से दबाना होता है। हर एक पुश के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने देना चाहिए। इससे शरीर में पहले से मौजूद रक्त को हृदय पंप करने लगता है। 30 बार पुश करने के बाद मुंह पर साफ रूमाल रखकर दो बार सांसें दी जाती हैं। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह शुरू होता है और मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलने लगती है।
—क्या होता है सीपीआर
कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक आपातकालीन प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की सांस या दिल के रुकने पर उसकी जान बचाने में मदद कर सकती है। जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तो उसे कार्डियक अरेस्ट कहते हैं। कार्डिएक अरेस्ट के दौरान हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पंप नहीं कर सकता है। इस दौरान इलाज नहीं मिलने पर मिनटों में ही व्यक्ति की मौत हो सकती है।
—क्या होता है हार्ट अटैक?
दिल तक खून पहुंचना बंद होने की स्थिति को हार्ट अटैक कहा जाता है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल और फैट के कारण अक्सर दिल तक खून ले जाने वाली धमनी में खून का प्रवाह रुक जाता है और इसके कारण दिल तक खून नहीं पहुंच पाता है। धमनी ब्लॉक होने की वजह से ऑक्सीजन भी इस तक नहीं पहुंच पाती है।
—क्या है कार्डियक अरेस्ट?
कार्डियक अरेस्ट उस स्थिति में होता है जब कार्डियक कार्यप्रणाली अचानक रुक जाती है यानी दिल धड़कना बंद कर देता है। इस दौरान फेफड़ों, दिमाग और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक खून पहुंचना रुक जाता है और प्रभावित व्यक्ति की तुरंत मृत्यु हो जाती है। कई बार हार्ट अटैक आने की वजह से भी अचानक कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। ऐसी इमरजेंसी में मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन (सीपीआर) और डिफाइब्रिलेटर से बिजली के झटके दिए जाते हैं। जिलाधिकारी वाराणसी ने बताया सीपीआर एक जीवन रक्षक प्रणाली है इसलिये आम जनमानस को इसे सिखाना बहुत जरूरी है इन्होंने डॉ द्विवेदी के कार्यों की सराहना की ।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
