Uttar Pradesh

सती चौरा घाट निषाद समाज के बलिदान, शौर्य और आजादी की पहली चिंगारी का साक्षी है : डॉ संजय निषाद

कार्यक्रम के दौरान लिया गया छाया चित्र

कानपुर, 27 जून (Udaipur Kiran) । यह घाट केवल गंगा का किनारा नहीं, बल्कि निषाद समाज के बलिदान, शौर्य और आज़ादी की पहली चिंगारी का साक्षी है। 1857 में निषाद नाविकों ने यहां अंग्रेजों को गंगा में डुबोकर मौत दी थी। इसके प्रतिशोध में मैस्कर घाट पर सैकड़ों निषादों को बिना सुनवाई फाँसी पर लटका दिया गया था और 1871 में क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के जरिये निषाद समाज को जन्मजात अपराधी बताकर अपमानित किया गया। यह बातें शुक्रवार को मत्स्यमंत्री डॉ. संजय निषाद ने कही।

शहर के कैंट स्थित ऐतिहासिक सती चौरा घाट पर आयोजित निषाद समाज के स्मृति एवं संकल्प दिवस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के मत्स्य मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने घाट के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज हम संविधान, कलम और वोट के माध्यम से अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं, ताकि निषाद समाज को ओबीसी में पृथक आरक्षण, मत्स्य योजनाओं में वरीयता और हर स्तर पर सम्मान दिलाया जा सके। सती चौरा और मैस्कर घाट को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने तथा क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट की सच्चाई को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की माँग करते हुए कहा कि निषाद समाज के बच्चों को अपने पूर्वजों के शौर्य की जानकारी अवश्य दी जाए, ताकि समाज में आत्मगौरव की चेतना जगे और आने वाली पीढ़ियाँ नेतृत्व के लिए तैयार हों।

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मछुआ समाज के उत्थान के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मछुआ दुर्घटना बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, सघन मत्स्य पालन एरियेशन सिस्टम, निषाद राज बोट योजना, माता सुकेता केज सिस्टम, मत्स्य पालक कल्याण कोष जैसी अनेक कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार से उल्लेख किया।

इटावा कथावाचक विवाद पर संजय कुमार निषाद ने कहा कि यह घटना अत्यंत निंदनीय है, जिसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। भारतीय संविधान सभी नागरिकों को पूजा-पाठ करने और करवाने का समान अधिकार देता है। किसी भी जाति को इससे वंचित नहीं किया जा सकता।

(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप

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