
भोपाल, 27 जून (Udaipur Kiran) । राजधानी भाेपाल के बड़ा तालाब स्थित 3 ईएमई प्रशिक्षण केंद्र, खानूगांव में शुक्रवार को भारतीय सेना के नेतृत्व में बाढ़ राहत और खोज-बचाव कार्यों की मॉक ड्रिल की शुरूआत हुई। इस अभ्यास में सेना के साथ एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और गृह विभाग की टीमें शामिल रहीं। सुबह 10:45 बजे शुरू हुई यह ड्रिल स्थानीय नागरिकों और अधिकारियों के लिए आपदा के समय रेस्क्यू ऑपरेशन की तैयारियों को देखने का वास्तविक अवसर बन गई।
डेमोंस्ट्रेशन के दौरान एसडीआरएफ की टीम ने बाढ़ प्रभावित इलाकों की तरह पानी में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने का अभ्यास किया। टीम के सदस्य तालमेल के साथ बोट में सवार होकर पानी के बीच पहुंचे और डूबते व्यक्ति की लोकेशन ट्रेस कर उसे बचाया। यह दिखाया गया कि किस तरह एसडीआरएफ टीम वायरलेस और कॉलिंग के जरिए एक-दूसरे से समन्वय करती है और हर एक्शन प्लान को टीम भावना से अंजाम देती है।
ड्रिल का सबसे रोमांचक और तकनीकी हिस्सा रहा एनडीआरएफ के प्रशिक्षित गोताखोरों का लाइव रेस्क्यू ऑपरेशन। इसमें यह प्रदर्शित किया गया कि किसी व्यक्ति के पानी में डूब जाने पर किस तरह से प्रोफेशनल डाइवर्स उसकी खोज करते हैं और जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में भी उसे बाहर निकालते हैं। गहरे पानी में फंसे एक युवक की रेस्क्यू प्रक्रिया को असली जैसी परिस्थितियों में प्रस्तुत किया गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रयोग की जाने वाली सभी प्रमुख प्रकार की बोट्स- रिलीफ बोट, सेफ्टी बोट, और रेस्क्यू बोट मौजूद थीं। इन बोट्स की कार्यप्रणाली और उपयोग की स्थिति को अलग-अलग डेमो के माध्यम से समझाया गया। एक विशेष प्रदर्शन में इन बोट्स की मदद से तालाब के बीच फंसे एक युवक को संयुक्त रूप से एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना के जवानों ने रेस्क्यू किया। ड्रिल का प्रमुख उद्देश्य न केवल रेस्क्यू करना बल्कि एजेंसियों के बीच समन्वय और संचार को दर्शाना भी था। मॉक अभ्यास में यह दिखाया गया कि वायरलेस, मोबाइल कॉल, और सिग्नल के माध्यम से किस प्रकार टीमों के बीच रियल टाइम कम्युनिकेशन स्थापित होता है और कैसे सभी इकाइयां एकजुट होकर किसी भी आपदा की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहती हैं।
इस संयुक्त अभ्यास ने आम लोगों के मन में आपदा के समय राहत एजेंसियों की तैयारी को लेकर विश्वास बढ़ाया है। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और गृह विभाग की संयुक्त भागीदारी और कुशल समन्वय ने यह साफ कर दिया कि भोपाल जैसे महानगरों में आपदा से निपटने की पूरी व्यवस्था है और सभी एजेंसियां हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे
