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अभी भी पुराने आपराधिक कानून में एफआईआर दर्ज कर रही है पुलिस, हाईकोर्ट ने कमिश्नर को दिए निर्देश

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 26 जून (Udaipur Kiran) । प्रदेश में नए आपराधिक कानूनों को लागू हुए करीब एक साल का समय हो गया है। इसके बावजूद भी पुलिस पुरानी भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज कर रही है। झोटवाडा थाना पुलिस की ओर से धोखाधडी के मामले को लेकर आईपीसी में दर्ज एफआईआर को लेकर प्रकरण राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचा है। हाईकोर्ट ने आदेश की कॉपी पुलिस कमिश्नर को भेजते हुए कहा है कि वह हर थाने में इसकी जानकारी भेजे। वहीं अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने पर रोक लगाते हुए सरकारी वकील को एफआईआर को बीएनएस की धाराओं में दर्ज करने को कहा है। जस्टिस सुदेश बंसल की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश अनिल कुमार की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धाराएं लगाई गई है, जबकि एक जुलाई, 2024 से भारतीय न्याय संहिता लागू हो चुकी है।

याचिका में अधिवक्ता अभिषेक मिश्रा ने अदालत को बताया कि यह मैसर्स सालासर एंटरप्राइजेज के दो भागीदारों के बीच का विवाद है। याचिकाकर्ता जुलाई, 2020 को रिटायरमेंट डीड के जरिए इस फर्म से हटा चुका है। उसके करीब पांच साल बाद दूसरे भागीदार ने गत 2 जून को झोटवाडा थाने में याचिकाकर्ता के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों और धोखाधडी को लेकर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई है। जिसमें अन्य आरोपों के साथ-साथ रिटायरमेंट डीड भी धोखाधडी से तैयार करने का आरोप लगाया गया है। वहीं पुलिस ने नए कानून के अस्तित्व में आने के बाद भी पुरानी आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया है। याचिका में गुहार की गई कि एफआईआर को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस कमिश्नर को निर्देश देते हुए याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने पर रोक लगाई है।

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(Udaipur Kiran)

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