
-चार्जशीट से बाहर याचियों को विशेष कोर्ट से जारी सम्मन आदेश अवैध करार कर रद्द
प्रयागराज, 26 जून (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 190 मे 193 के तहत कोर्ट अपनी जानकारी के आधार पर चार्जशीट से बाहर आरोपित के खिलाफ सम्मन जारी कर सकती है, किंतु पाक्सो एक्ट की धारा 33 में यह अधिकार विशेष जज को नहीं है। वह पुलिस रिपोर्ट या कम्प्लेंट पर ही संज्ञान लेकर सम्मन जारी कर सकती है। अपनी जानकारी के आधार पर पाक्सो एक्ट के विशेष जज को विवेचना में अलग हुए आरोपित को सम्मन जारी करने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष जज पाक्सो एक्ट बरेली के याचियों के विरूद्ध जारी सम्मन आदेश 29 मई 24 को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है और विशेष अदालत को नियमानुसार नये सिरे से संज्ञान लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि याचियों के खिलाफ जारी सम्मन ही रद्द किया गया है। चार्जशीट में शामिल आरोपी के खिलाफ केस कार्यवाही चलेगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की एकल पीठ ने दिशा व एक अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर याची का कहना था कि विशारतगंज थाने में याचीगण के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 366,व 120 बी तथा पाक्सो एक्ट की धारा 16/17 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
विवेचना अधिकारी ने याची संख्या एक का नाम एफआईआर में नहीं होने व चार्जशीट में शामिल न करने तथा याची दो के खिलाफ सबूत न मिलने के कारण चार्जशीट से बाहर कर दिया। केवल एक आरोपित अजीत के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। किंतु विशेष जज पाक्सो ने आरोपित सहित याचियों के खिलाफ सम्मन जारी कर तलब किया है। जिसकी वैधता को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि विशेष जज को केवल चार्जशीट में आरोपी या कम्प्लेंट मिलने पर ही संज्ञान लेकर सम्मन जारी करने का अधिकार है। याचियों के खिलाफ न तो चार्जशीट है और न ही कोई कम्प्लेंट दाखिल है। इसलिए सम्मन आदेश सहित केस कार्यवाही रद्द किया जाय। कोर्ट ने कानूनी उपबंधो पर विचार किया और विशेष जज के आदेश को रद्द कर दिया।
(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
