
अनूपपुर, 26 जून (Udaipur Kiran) । आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर गुरूवार को इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में संविधान हत्या दिवस मनाया। इस मौके पर जनजातीय विश्वविद्यालय में आयोजित जनजागरण कार्यक्रम में डीन प्रो.विकास सिंह ने पीएम नरेन्द्र मोदी की किताब ‘द इमरजेंसी डायरीज: ईयर दैट फोर्ज्ड आवर लीडर्स’ को संदर्भित करते हुए कहा की यह किताब पीएम मोदी की युवावस्था से जुड़ी घटनाओं के बारे में है।
आपातकाल लागू किए जाने के समय वे एक युवा कार्यकर्ता थे, जिन्होंने 19 महीने तक आंदोलन में भाग लिया तथा मीसा बंदियों के घर जाकर उनके इलाज की व्यवस्था की। उस समय बहुत सारे गुप्त समाचार पत्र प्रकाशित होते थे। उन समाचार पत्रों को बाजारों, छात्रों और महिलाओं के बीच वितरित किया और 24-25 साल की उम्र में गुजरात में संघर्ष का नेतृत्व किया। किताब में नरेंद्र मोदी की संघर्षों की पूरी कहानी है। जिसमें बताया गया हैं कि साधु, सरदारजी, हिप्पी, अगरबत्ती या अखबार विक्रेता के रूप में जमीन पर काम किया। छात्रों ने आपातकाल के नेतृत्व वाली सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति का प्रतीक बताया और इसे इतिहास का काला दिन कहा है।
देश भर के सभी मीसा बंदियों तथा उनके परिवारों का होगा सम्मान
प्रो विकास ने आगे कहा की आपातकाल के दौरान मीसा के तहत जेल गए स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारजनों जो लोकतंत्र रक्षकों को सम्मानित तथा उनके पीड़ा को डॉक्यूमेंट करने का कार्य जनजातीय विवि में वर्षभर चलेगा। मीसा बंदियों ने आपातकाल के कठिन समय में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए जो संघर्ष किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। मीसा बंदियों से आपातकाल के दौरान घटी घटनाओं के विषय पर शोर्ट फिल्म बनाये जायेंगे। कार्यक्रम युवाओं को संविधान हत्या दिवस के बारे में बताने और जागरूक करने के लिए आयोजित किया गया है।
देश की जनता एवं युवा जनजागरण करना है की लोकतंत्र और संविधान हत्या की हत्या कैसे की गई थी। देश का 140 करोड़ परिवार समझ रहा है कि लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग कैसे किया गया था। आपातकाल में पीड़ित लोगों की सच जुबानी, वंशवाद की राजनीति का कुचक्र, तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करने वाला लोकतांत्रिक मूल्यों पर एक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया जायेगा।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला
