Jharkhand

नशा से बचाव के लिए छात्रों को जागरूक करना बेहद जरूरी : अतुल

जागरूकता कार्यक्रम में मौजूद अतिथि

रांची, 26 जून (Udaipur Kiran) । झालसा के निर्देश पर न्यायायुक्त सह अध्यक्ष के मार्गदर्शन में गुरुवार को गोसनर कॉलेज में छात्र-छात्राओं के लिए नालसा स्कीम डॉन पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लाइफ सेवर्स के अतुल गेरा ने बताया कि नशा हमारे देश को कैसे खोखला कर रहा है और नशा से बचने के लिए छात्र-छात्राओं को जागरूक करना बेहद जरूरी है। नशा के पेडलर नवयुवक और छात्रों को इस व्यवसाय में आसानी से उपयोग करते हैं। इससे हमलोगों को सचेत रहना है और किसी भी तरह का ड्रग्स पेडलरों के लालच में नहीं आएं।

20 साल तक के कठोर कारावास का प्रावधान : राजेश

एलएडीसीएस के डिप्टी चीफ राजेश कुमार सिन्हा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 के बारे में बताया कि इसमें कहा गया है कि राज्य को निर्देशित किया जाता है कि वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मादक पेय और नशीली दवाओं के सेवन को औषधीय उद्देश्यों को छोड़कर, समाप्त करने का प्रयास करेगा।

सिन्हा ने कहा कि अफीम या पोस्ता के उत्पादन या कब्ज़े पर एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत मात्रा के आधार पर 20 साल तक के कठोर कारावास और दो लाख रूपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान है। बार-बार अपराध करने पर मृत्युदंड तक की सजा का भी प्रावधान है। उन्होंने बताया कि कांके के पुनर्वास केंद्रों के साथ-साथ एनजीओ भी नशा करनेवालों को ठीक करने में मदद करते हैं।

उन्होंने कहा कि सीआईपी और रिनपास में जिला विधिक सेवा प्राधिकार का लिगल एड क्लिनिक है, वहां पर नशा करनेवाले व्यक्तियों का ईलाज किया जाता है। इसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकार सहायता करती है। सिन्हा ने नालसा के टॉल फ्री नम्बर 15100 के बारे में भी बताया।

संसाधनों की कमी से नहीं पहुंच पाते गिरोह तक : रिजवान

एनसीबी के रिजवान अंसारी ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। इन क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुंचता है। अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते हैं। रिजवान अंसारी ने मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित जानकारी दी और मादक पदार्थों की तस्करी में बच्चों और नवयुवकों को कैसे उपयोग में लिया जा रहा है, इससे बचने के लिए उन्होंने छात्रों को जागरूक किया।

वहीं सीडब्ल्यूसी की सदस्य आरती कुमारी ने कहा कि नशा करने से व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुछ लोगों में नशे की यात्रा 16 वर्ष या इससे कम से ही शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा कि यदि रांची में नशे की समस्या पर नियंत्रण पाया जाए तो अपराध दर में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आ सकती है। रांची में नशीली दवाओं से संबंधित किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना अधिकारियों को देने की सलाह उन्होंने दी।

कार्यक्रम में लाइफ सेवर्स के अतुल गेरा, एलएडीसीएस डिप्टी चीफ, राजेश कुमार सिन्हा, सीआईडी से रिजवान अंसारी, एनसीबी से राकेश गोस्वामी, सीडब्ल्यूसी सदस्य, आरती कुमारी सहित अन्य उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak

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