
नई दिल्ली, 25 जून (Udaipur Kiran) । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में एक मशाल यात्रा निकाली। यह यात्रा रामजस कॉलेज से आरंभ हुई तथा कला संकाय, दौलत राम कॉलेज, श्रीराम कॉलेज एवं विधि संकाय से होते हुए क्रांति चौक पर जाकर संपन्न हुई।
इस दौरान लोकतांत्रिक संस्थाओं, मानवाधिकारों एवं संविधान प्रदत्त मूल्यों का खुलेआम हनन किया गया। युवाओं, छात्रों, नेताओं और आम नागरिकों पर दमनकारी कार्रवाइयां की गईं। अभाविप ने तब भी इस तानाशाही के विरुद्ध अग्रिम पंक्ति में संघर्ष किया था, और तभी से हर वर्ष 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में इसकी क्रूर यातनाओं एवं स्मरण करती है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय मंत्री शिवांगी खरवाल ने कहा, आपातकाल केवल असहनीय यातनाओं या मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्मृति भर नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की मूल आत्मा को रौंदने एवं भारत की वैश्विक छवि को धूमिल करने का अध्याय भी है। विद्यार्थी परिषद ने सदा आपातकाल का विरोध किया है एवं उसकी स्मृतियों को जनमानस के समक्ष लाने हेतु कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
आज की मशाल यात्रा उसी क्रम का एक सशक्त प्रयास है, जिसके माध्यम से हम लोकतंत्र की रक्षा के संकल्प को पुनः दोहराते हैं।
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा, आपातकाल भारतीय गणराज्य पर सत्ता के अहंकार द्वारा लादे गए तानाशाही के वो 21 महीने थे, जिसमें भारत का लोकतंत्र सांसें गिन रहा था। उस कालखंड में जब बोलना अपराध था, तब अभाविप के कार्यकर्ताओं ने महज पोस्टर चिपकाने के अपराध में जेलें भरीं, भूमिगत रहकर चेतना जगाई, और लोकतंत्र की दीपशिखा को बुझने नहीं दिया।
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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी
