श्रीनगर 25 जून (Udaipur Kiran) । शिक्षा, समाज कल्याण और स्वास्थ्य मंत्री सकीना इत्तू ने नागरिक सचिवालय में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रदर्शन और कामकाज की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक के दौरान सकीना ने सीखने के परिणामों, बुनियादी ढांचे की तत्परता, शिक्षक प्रदर्शन, मानव संसाधन प्रबंधन के साथ-साथ समग्र शिक्षा, पीएम-पोषण (मिड डे मील), न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम, पीएम-श्री और अन्य जैसी प्रमुख शैक्षिक योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति में प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का व्यापक मूल्यांकन किया।
बैठक के दौरान अधिकारियों को संबोधित करते हुए मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में जवाबदेही, पारदर्शिता और परिणामोन्मुखी रणनीतियों के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सीखने की कमियों को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया और स्कूलों में शैक्षिक संसाधनों की समय पर आपूर्ति और छात्रों के बेहतर परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए मजबूत निगरानी तंत्र की मांग की।
मंत्री ने कहा कि हमें सीखने के परिणामों, शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल पहुंच और समावेशी शिक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। हर बच्चा चाहे उसकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि या भौगोलिक स्थिति कुछ भी हो, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने का हकदार है।
यूटी में विशेष रूप से लड़कियों और हाशिए के समुदायों के बीच छात्र नामांकन प्रवृत्तियों की समीक्षा करते हुए मंत्री ने अधिकारियों से स्कूलों में नामांकन बनाए रखने और इसके लिए प्रचलित योजनाओं के उचित कार्यान्वयन का आह्वान किया। उन्होंने अधिकारियों से उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन बनाए रखने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा। उन्होंने अधिकारियों को उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में लड़कियों की नामांकन संख्या बनाए रखने में व्यापक भूमिका निभाने वाली बेटी अनमोल योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भी निर्देश दिया।
बैठक के दौरान मंत्री ने शिक्षा क्षेत्र में लगातार समस्याओं पर भी नाराजगी व्यक्त की, विशेष रूप से दूरदराज और कम सेवा वाले क्षेत्रों में। उन्होंने अधिकारियों को छह महीने के भीतर सभी छूटे हुए स्कूलों में बिजली कनेक्शन और सौर पैनल लगाने का निर्देश दिया। उन्होंने चार महीने के भीतर सभी छूटे हुए स्कूलों में शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएं स्थापित करने को भी कहा।
मंत्री ने जिम्मेदारी की संस्कृति के लिए एक स्पष्ट आह्वान जारी किया, सभी शिक्षकों और प्रशासनिक कर्मियों से आग्रह किया कि वे अपनी भूमिकाओं को गंभीरता से लें। उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों की शिक्षा को पटरी से उतारने के लिए आत्मसंतुष्टि की अनुमति नहीं दे सकते। शिक्षक केवल सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, वे हमारे भविष्य के पथ प्रदर्शक हैं और प्रदर्शन न करने पर उनकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
विभाग के अन्य पहलुओं की समीक्षा करते हुए मंत्री ने पर्याप्त स्टाफ उपस्थिति वाले स्कूलों में शिक्षकों के युक्तिकरण के बारे में सख्त निर्देश जारी किए। उन्होंने आगे निर्देश दिया कि सभी पिं्रसिपल अपने-अपने स्कूलों में कक्षाएं लें, इसके अलावा स्कूलों के नियमित प्रबंधन की भी देखभाल करें।
मंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि क्षेत्रीय या जिला स्तर पर कोई भी तबादला नहीं होना चाहिए और किसी भी तबादले से पहले संबंधित निदेशकों से परामर्श किया जाना चाहिए। उन्होंने दोनों निदेशकों को बिना किसी कारण के शिक्षकों की उपस्थिति को एक स्कूल से दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने के मुद्दे पर भी ध्यान देने और अपने संबंधित निदेशकों को सूचित किए बिना ऐसा करने वालों की जिम्मेदारी तय करने को कहा। चल रही परियोजनाओं और अन्य बुनियादी ढांचे की स्थिति की समीक्षा करते हुए मंत्री ने अधिकारियों से परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए निष्पादन एजेंसियों के साथ नियमित समन्वय बनाए रखने को कहा।
उन्होंने अधिकारियों से कश्मीर और जम्मू संभाग के कुछ हिस्सों में सीमित कार्य मौसम के कारण समय पर पूरा करने के लिए नियमित आधार पर कार्यों की निगरानी करने को कहा।
मंत्री ने आगे कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर में शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में सुधार केवल नीति के बारे में नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि हमारे बच्चे तेजी से बदलती दुनिया में आगे बढ़ने के लिए सुसज्जित हों।
(Udaipur Kiran) / सुमन लता
