Madhya Pradesh

आज का फलता-फूलता लोकतंत्र आपातकाल के संघर्ष का परिणामः मंत्री संपतिया उइके

संविधान हत्या दिवस पर मीसाबंदियों का सम्मान

– योजना भवन में संविधान हत्या दिवस पर मीसाबंदियों का सम्मान किया गया

मंडला, 25 जून (Udaipur Kiran) । लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी द्वारा अपनी कुर्सी बचाने के लिए 25 जून 1975 को देश पर इमरजेंसी थोपी, इसके बाद विपक्ष के नेताओं को जबरन जेलों में डाला गया। आज का फलता-फूलता लोकतंत्र आपातकाल के संघर्ष का परिणाम है। मीसाबंदियों पर जेलों में अत्याचार किए गए। आपातकाल की इस विभीषिका को लोग जानें और समझें, इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इमरजेंसी के 50 वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में लोकतंत्र हत्या दिवस आयोजित कराने का निर्णय लिया है।

मंत्री संपतिया उइके बुधवार को मंडला के योजना भवन में आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर संविधान हत्या दिवस आयोजित कर इमरजेंसी की विभीषिका के विषय में लोगों को जानकारी देने के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। इस कार्यक्रम के दौरान वर्ष 1975 के मीसाबंदियों एवं उनके परिवारजनों का सम्मान किया गया।

मंत्री संपतिया उइके ने कहा कि लोकतंत्र के सेनानियों ने इमरजेंसी के दौरान किए गए अत्याचारों के सामने घुटने नहीं टेके और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए संघर्ष किया, जिसका परिणाम था कि 1977 के चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा। आज हमें उन लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान करने का अवसर मिला है उन्होंने इस देश के महान लोकतंत्र का बचाने के लिए जेल तक जाना स्वीकार किया था। आज लघु फिल्म के माध्यम से इमरजेंसी की वास्तविकता लोगों को बताई गई। ऐसी लघु फिल्मों का प्रदर्शन हमें समाज के सामने करना चाहिए जिससे लोग लोकतंत्र के उस काले अध्याय के बारे में जान सकें।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नगरपालिका अध्यक्ष विनोद कछवाहा ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है। यह समय देश के लिए अत्यंत पीड़ादायक रहा। मीसाबंदियों ने इस दौरान जिस तरह के अत्याचार का सामना किया उसकी कल्पना ही हमें डरा देती है।

मीसाबंदी बालकिशन खंडेलवाल ने कहा कि आज का दिन कोई उत्सव का दिन नहीं है यह निंदा का दिन है। आपातकाल के समय हमने बिना किसी अपराध के जेल में समय गुजारा, मंडला से हमें नरसिंहपुर और जबलपुर के जेलों में रखा गया। आज का दिन विरोधियों को कुचलने वालों की निंदा करने का दिन है। शहर के एक अन्य मीसाबंदी सावलदास पमनानी ने कहा कि आज इतने वर्षों बाद भी जब हम इमरजेंसी के समय को याद करते हैं तो हमारे द्वारा सही गई यातनाओं की याद आती है। उस समय हम पर मिथ्या आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया था। अपनी बात कहने या पक्ष रखने का अवसर भी नहीं दिया गया।

कार्यक्रम के दौरान आपातकाल के समय संघर्ष करने के लिए सावलदास पमनानी, बालकिशन खंडेलवाल, प्रकाशचंद जैन, राजकुमार चंद्रौल का साल तथा श्रीफल देकर सम्मान किया गया। साथ ही स्वर्गीय मीसाबंदियों के परिजनों गायत्री यादव, दीपक शर्मा, मोहम्मद समीम को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सीईओ जिला पंचायत श्रेयांश कूमट, अपर कलेक्टर राजेन्द्र कुमार सिंह, अरविंद सिंह, संयुक्त कलेक्टर सीएल वर्मा, डिप्टी कलेक्टर क्षमा सराफ, एसडीएम सोनल सिडाम, एसी ट्राईबल वंदना गुप्ता, जिला शिक्षा अधिकारी मुन्नी वरकड़े, वरिष्ठ समाजसेवी रोचीराम गुरवानी सहित संबंधित उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अखिलेश उपाध्याय ने किया।

(Udaipur Kiran) तोमर

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