
जम्मू, 25 जून (Udaipur Kiran) । ऐतिहासिक गेयटी थिएटर, शिमला में आयोजित देव भूमि राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव ने भारत के रंगमंच परिदृश्य में एक नया सांस्कृतिक कीर्तिमान स्थापित किया। इस आयोजन को राजौरी (जम्मू-कश्मीर) के रंगमंच थिएटर ग्रुप ने सोमानी टाइल्स-खैरा के सहयोग से आयोजित किया, जबकि तकनीकी और नैतिक सहयोग संकल्प रंगमंडल, शिमला (हिमाचल प्रदेश) द्वारा प्रदान किया गया। महोत्सव की शुरुआत सांस्कृतिक गरिमा और जोश के साथ हुई, जिसमें देशभर के रंगकर्मी, कलाप्रेमी और बुद्धिजीवी शामिल हुए। उद्घाटन संध्या पर आम्मा नाटक ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया। रंग प्रिया सोसाइटी, सोलन द्वारा प्रस्तुत यह नाटक बुजुर्ग माता-पिता की अकेलेपन और उपेक्षा को मार्मिक रूप से दर्शाता है, जब उनके बच्चे नौकरी के लिए शहरों की ओर पलायन कर जाते हैं। कार्यक्रम में शिमला के महापौर सुरिंदर चौहान और प्रसिद्ध रंगकर्मी प्रवीन चंदला डड्डू विशेष अतिथि रहे।
दूसरे दिन पटियाला (पंजाब) के द लैबोरेटरी थिएटर ग्रुप द्वारा प्रस्तुत मनोवैज्ञानिक थ्रिलर सन-2025 ने दर्शकों को झकझोर कर रख दिया। पियूष मिश्रा द्वारा लिखित और शोभित मिश्रा द्वारा निर्देशित यह नाटक फ्रेडरिक ड्यूररमेट की रचना इंसीडेंट ऐट ट्विलाइट पर आधारित था। कहानी दो पात्रों — लेखक धीरज ब्रह्मात्मे और शोधकर्ता सूफी — के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें कल्पना और हकीकत के बीच खतरनाक संबंधों को उजागर किया गया। नाटक में निर्भया कांड जैसे सामाजिक मुद्दों को भी जोड़ा गया।
पद्मश्री बलवंत ठाकुर (पूर्व सांस्कृतिक राजदूत, भारत सरकार) एवं प्रो. हिम चटर्जी (अध्यक्ष, दृश्य कला विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय) विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। दोनों ने थिएटर की सामाजिक चेतना निर्माण में भूमिका को रेखांकित किया और उभरते कलाकारों को मंच देने के लिए आयोजकों की सराहना की। बिना किसी सरकारी सहायता के आयोजित यह महोत्सव न केवल एक राष्ट्रीय रंगमंच मंच बनकर उभरा है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रीय संस्कृतियों के बीच सेतु का कार्य भी कर रहा है। प्रस्तुत नाटकों ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि समाज को जागरूकता और संवाद की दिशा में प्रेरित किया।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
