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नक्सली के गांव में सीआरपीएफ जवानाें ने नेग-उपहार व आशीर्वाद देकर विवाहिता को किया विदा

मंत्री केदार कश्यप का एक्स पर  शेयर

– देश के सबसे बड़े खूंखार नक्सलियों में से एक और एक कराेड़ के ईनामी माड़वी हिड़मा के गांव पूवर्ती में विवाह पर पहुंचे थे सीआरपीएफ जवान- छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप कश्यप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर कहा- यह बदलते बस्तर की तस्वीर है

सुकमा, 25 जून (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ में सुकमा और बीजापुर जिले के सीमा क्षेत्र पर एक कराेड़ के ईनामी नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती में विवाह के बाद एक विवाहिता की विदाई की तस्वीर सामने आई है, जिसमें परिवार के साथ बेटी सीआरपीएफ कैंप पहुंचकर वहां तैनात जवानों ने मिलकर उनके पैर छुए, जवानाें ने नजर उतारी और भाई बनकर उसे विदाई दी। इस दाैरान जवान पूरे गांव वालाें के साथ जमकर थिरके।

छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप ने बुधवार काे पूवर्ती की बेटी के विवाह बाद विदाई का वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर शेयर कर उन्होंने लिखा कि सीआरपीएफ 150वीं बटालियन के जवानों ने पूरी आत्मीयता के साथ नेग दिया, आशीर्वाद दिया और खुशी से झूम उठे। जहां कभी सन्नाटा था, वहां अब प्रेम, अपनापन और सुरक्षा का उजाला फैल रहा है, यह बदलते बस्तर की तस्वीर है।

नक्सली हिड़मा एवं देवा के ग्राम पूवर्ती में मंगलवार को एक लड़की का विवाह हुआ, उसकी विदाई में पूरा गांव उमड़ा था। विवाह में ग्रामीणों ने जश्न में पास के कैंप में तैनात जवानों को आमंत्रित किया गया। जब दुल्हन को विदा किया जा रहा था, तो पूरी बारात जंगल में चली गई, ताकि दुल्हन को सीआरपीएफ के जवानों से मिलवाया जा सके। इसके बाद बेटी स्वयं अपने घर से सीआरपीएफ कैंप तक आई, इसके साथ पूरे गांव के लोग भी थे। इस दाैरन सभी पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन में थिरक रहे थे। वहीं नवविवाहिता ने जवानों से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। जवानाें ने आर्शीवाद के साथ नेग-उपहार देकर अपनी बहन की तरह विदाई दी। यह इस गांव का एक ऐतिहासिक लम्हा बन गया है।

दरअसल, यह विदाई इसलिए भी खास है क्योंकि देश के सबसे बड़े खूंखार नक्सलियों में से एक माड़वी हिड़मा का यह गांव है, देवा बारसे भी यहीं का रहने वाला है। सालभर पहले तक इस गांव में नक्सलियों की हुकूमत चलती थी। सर्चिग के दौरान जब भी जवान इस गांव में या फिर आस-पास के इलाके में पहुंचते थे, तो ग्रामीण उन्हें देखकर भाग जाया करते थे, छिप जाते थे। उन्हें डर होता था कि कहीं पुलिस एनकाउंटर न कर दे। लेकिन जब इस गांव में सुरक्षाबलों का कैंप खुला तो गांव में अब विकास पहुंचा। जवानों ने ग्रामीणों का दिल जीता, भरोसा जीता। जिसके बाद अब ग्रामीण खुलकर कैंप पहुंचते हैं, जवानों से बातचीत करते हैं।

बस्तर संभााग के नक्सल ग्रस्त इलाकाें में शांति की यात्रा में एक बेटी का विवाह मील का पत्थर साबित हाेगा। जहां कभी केवल रक्षक के रूप में देखे जाने वाले सुरक्षाबलाें के जवानाें को अब भाइयों के रूप में गले लगाया जाता है, और जहां जंगल अब डर से नहीं, बल्कि नई शुरुआत की खुशी की लय में थिरकने लगा है।

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(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे

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