Uttar Pradesh

मोजाम्बिक के ट्रैक पर दौड़ेगा बरेका निर्मित 3300 अश्व शक्ति केप गेज डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव

बरेका निर्मित 3300 डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव

बरेका ने मोजाम्बिक को 3300 एचपी के लोकोमोटिव निर्यात के साथ मिला बड़ा अनुबंध

वाराणसी,25 जून (Udaipur Kiran) । बनारस रेल इंजन कारख़ाना (बरेका) में निर्मित 3300 अश्व शक्ति केप गेज डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव अब मोजाम्बिक देश के रेल पटरी पर दौड़ेगा। बरेका ने बुधवार को 3300 एचपी के उन्नत डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव मोजाम्बिक को निर्यात किया। मेक इन इंडिया की वैश्विक उड़ान पर महाप्रबंधक ने कर्मचारियों का उत्साह वर्धन किया है। बरेका निर्मित डीजल रेल इंजन की अपनी गुणवत्ता और तकनीकी दक्षता के चलते मोजाम्बिक रेलवे (सीएफएम) ने बरेका को एक और बड़ा अनुबंध सौंपा है।

वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 के दौरान बरेका ने 06 डीजल रेल इंजन (3000 हॉर्स पावर, एसी– एसी ) सफलतापूर्वक मोजाम्बिक की रेल कंपनी सीएफएम को आपूर्ति किए गए थे, जो वर्तमान में मोजाम्बिक में सफलतापूर्वक परिचालन में हैं। बरेका के अफसरों के अनुसार पूर्व में भेजे गए इंजनों की उत्कृष्ट कार्यक्षमता एवं विश्वसनीय प्रदर्शन को देखते हुए, मोजाम्बिक रेलवे (सीएफएम) ने एक और बड़ा अनुबंध सौंपा है। यह नया अनुबंध 10 अत्याधुनिक 3300 हॉर्स पावर एसी– एसी डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के निर्माण और आपूर्ति के लिए मेसर्स राइट्स के माध्यम से प्रदान किया गया है। इन 10 इंजनों में से 2 इंजन का निर्माण कार्य पूर्ण कर जून 2025 में सफलतापूर्वक मोजाम्बिक के लिए रवाना कर दिया गया है, जबकि शेष 8 इंजनों को दिसंबर 2025 तक भेज दिया जाएगा। ये इंजन केप गेज (1067 मिमी) पर 100 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम गति से चलने में सक्षम हैं।

तकनीकी नवाचार और चालक-सुविधाओं से युक्त इंजन

बरेका जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार यहां निर्मित ये 3300 एचपी एसी-एसी डीजल इंजन न केवल तकनीकी दृष्टि से अत्याधुनिक हैं बल्कि इसमें चालक के लिए भी कई विशेष सुविधाएं प्रदान की गई हैं। इनमें रेफ्रिजरेटर, हॉट प्लेट, मोबाइल होल्डर, सौंदर्यबोध से परिपूर्ण कैब डिज़ाइन, शौचालय की सुविधा है। बरेका की यह उपलब्धि न केवल देश के तकनीकी सामर्थ्य का प्रतीक है बल्कि ‘मेक इन इंडिया–मेक फॉर द वर्ल्ड’ मिशन को भी सशक्त करती है। मोजाम्बिक को इन इंजनों की आपूर्ति से भारत की इंजीनियरिंग क्षमता, आत्मनिर्भरता और वैश्विक साझेदारी को एक नई ऊंचाई मिली है। मोजाम्बिक को 12 सिलिंडर 3300 अश्व शक्ति एसी-एसी केप गेज डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का निर्माण कर सकुशल निर्यात किया गया।

उल्लेखनीय है कि 23 अप्रैल 1956 को बनारस रेल इंजन कारख़ाना की स्थापना से अब तक यहां भारतीय रेलवे, इस्पात संयंत्रों, खानों, बंदरगाहों और निर्यात के लिए 10000 से अधिक लोकोमोटिव बन चुका है। जनवरी 1976 में बरेका से पहला रेल इंजन तंजानिया को निर्यात किया गया । इसके बाद वियतनाम, माली, सेनेगल, अंगोला, म्यांमार, बंग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, मोजाम्बिक, सूडान आदि देशों को यहां निर्मित रेल इंजन भेजे गये।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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