Jammu & Kashmir

गोजरी सांस्कृतिक सम्मेलन का भव्य शुभारंभ, सांसद मियां अल्ताफ अहमद ने की अध्यक्षता

गोजरी सांस्कृतिक सम्मेलन का भव्य शुभारंभ, सांसद मियां अल्ताफ अहमद ने की अध्यक्षता

जम्मू, 24 जून (Udaipur Kiran) । गुज्जर समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित दो दिवसीय गोजरी सांस्कृतिक सम्मेलन का श्रीनगर के टैगोर हॉल में भव्य शुभारंभ हुआ। इस आयोजन का उद्घाटन सांसद मियां अल्ताफ अहमद ने किया। यह कार्यक्रम जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी द्वारा आयोजित किया गया जिसमें जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों से आए 200 से अधिक जनजातीय लेखक, कवि और कलाकारों ने भाग लिया। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे मियां अल्ताफ अहमद ने अपने भाषण में गोजरी भाषा को जम्मू-कश्मीर की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बताते हुए इसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की पुरज़ोर मांग की। उन्होंने गूजर समुदाय के साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन समुदाय के भीतर आपसी सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करेंगे। इस अवसर पर मुख्य संपादक (गोजरी) डॉ. जावेद राही, विधायक इंजीनियर खुर्शीद अहमद, और पूर्व दूरदर्शन निदेशक जी.डी. ताहिर ने भी मंच साझा किया।

डॉ. जावेद राही ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य गोजरी भाषा और संस्कृति को मंच प्रदान करना है, जिससे इसकी चुनौतियों और उपलब्धियों पर विचार-विमर्श किया जा सके। इंजीनियर खुर्शीद अहमद ने गूजर और बकरवाल समुदायों के पारंपरिक ज्ञान को दस्तावेज़ीकृत करने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट और अकादमी से त्वरित कार्रवाई की अपील की। जी.डी. ताहिर ने जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालयों में गोजरी विभागों की स्थापना की वकालत की और इस ऐतिहासिक भाषा को संरक्षित करने के लिए संस्थागत प्रयासों को तेज़ करने की आवश्यकता बताई।

कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध गोजरी लेखिका नसीम अख्तर ने किया। वहीं शोपियां से आए सुप्रसिद्ध लोक गायक मोहम्मद रफी ने हज़रत मियां नियामुद्दीन लारवी (रह.) की सेहरफियां प्रस्तुत कर माहौल को भावविभोर कर दिया। उद्घाटन सत्र के बाद हुए पेपर रीडिंग सत्र की अध्यक्षता प्रो. एम.के. वकार और एम. मंषा खाकी ने की जिसमें मौलवी मोहिउद्दीन और इब्राहिम मिस्बाही ने गोजरी भाषा और साहित्य पर आधारित शोध पत्र प्रस्तुत किए। यह सम्मेलन गोजरी भाषा और गूजर समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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