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सर्वार्थ सिद्धि योग में बनाई जाएगी अमावस्या

सोमवती अमावस्या तीस दिसम्बर को

जयपुर, 23 जून (Udaipur Kiran) । आषाढ़ अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित माना गया हैं । इस दिन व्रत करने से सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती हैं । इस दिन तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं । अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना,जरूरतमंदों को अन्न,वस्त्र और दान करना शुभ माना जाता हैं।

आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि अमावस्या तिथि का समापन 25 जून को शाम 4:00 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार 25 जून के दिन आषाढ़ अमावस्या की पूजा और तर्पण कर्म किया जाएगा । इस दिन पूजा करने का समय सुबह 5:35 से 9:02 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग में और 10:44 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक हैं। इस दिन मां लक्ष्मी के लिए घी या सरसों के तेल का दीपक जलाएं । पीपल के नीचे तिल और सरसों के तेल का दीप जलाना शुभ होता हैं । आषाढ़ अमावस्या के दिन घर या आसपास नीम का पौधा लगाने से शनि और राहु के अशुभ प्रभाव से भी राहत मिलती हैं । अमावस्या पर पीपल पेड़ की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता हैं । पितृ दोष को दूर करने के लिए मंदिर या घर के आसपास पीपल का पौधा लगाएं । इससे पितृ प्रसन्न होते हैं ।

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(Udaipur Kiran)

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