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अवमानना मामले में कुणाल घोष को हाई कोर्ट ने दी नियमित पेशी से राहत

कोलकाता 23 जून (Udaipur Kiran) । तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष को कोर्ट की अवमानना के मामले में नियमित रूप से अदालत में उपस्थित होने से राहत दी गई है। सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान कुणाल घोष स्वयं अदालत में उपस्थित थे। कोर्ट के निर्देशानुसार, उनके नाम को लेकर एक हलफनामा दाखिल किया गया। उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सांसद कल्याण बंद्योपाध्याय ने पैरवी की। उनके साथ अधिवक्ता अयन चक्रवर्ती और राहुल मिश्रा भी मौजूद थे। इस मामले की अगली सुनवाई आगामी सोमवार, तीस जून को निर्धारित की गई है।

इस मामले में पहले ही कलकत्ता हाई कोर्ट ने कुणाल घोष के विरुद्ध अवमानना का नोटिस जारी किया था। आज से ही इस पर सुनवाई शुरू हुई। अदालत के आदेश पर कुणाल घोष के नाम को लेकर हलफनामा प्रस्तुत किया गया। सुनवाई के दौरान कल्याण बंद्योपाध्याय ने कहा कि इस विशेष पीठ को अवमानना का नियम जारी करने का अधिकार नहीं है और यह स्वतः संज्ञान में लिया गया मामला विधिसम्मत नहीं है।

कल्याण बंद्योपाध्याय ने अपनी दलील में कहा कि “हमने मुख्य न्यायाधीश द्वारा विशेष पीठ गठित करने का कोई लिखित आदेश नहीं देखा है। अगर मुझसे कोई त्रुटि हुई हो, तो मैं बिना शर्त क्षमा चाहता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि मुख्य न्यायाधीश ने कोई नियम जारी नहीं किया है, अतः यह पीठ रूल जारी करने के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती।

यह मामला हाई कोर्ट की तीन न्यायाधीशों वाली विशेष पीठ के समक्ष सुना गया। दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने स्पष्ट किया कि कुणाल घोष को अब नियमित रूप से अदालत में उपस्थित रहने की आवश्यकता नहीं है। यदि आवश्यकता पड़ी, तो उन्हें बुलाया जाएगा। इस मामले में कल्याण बंद्योपाध्याय की ओर से और भी बहस बाकी है। अगली सुनवाई अगले सोमवार निर्धारित की गई है।

गौरतलब है कि एसएलएसटी की शारीरिक शिक्षा एवं कार्य शिक्षा विषयों के अभ्यर्थियों द्वारा अदालत परिसर में किए गए एक विवादित प्रदर्शन को लेकर यह अवमानना का मामला दायर हुआ था।

सुनवाई के बाद कुणाल घोष ने कहा है कि “यह अवमानना का मामला वामपंथी, भाजपा और कांग्रेस समर्थक वकीलों की कोशिश से हुआ था, जिसके कारण नियम जारी किया गया। मैंने उच्च न्यायालय का सम्मान करते हुए सभी आदेशों का पालन किया। माननीय तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने मुझे व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी है।”

(Udaipur Kiran) / अनिता राय

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