
– मंत्री पटेल ने 77वीं नदी उद्गम में की पूजा-अर्चना, कहा- मप्र को नदियों का मायका कहा जाता है, इन नदियों को संरक्षित करें
सागर, 22 जून (Udaipur Kiran) । पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि नर्मदा नदी नहीं होगी तो मध्य प्रदेश का भविष्य नहीं होगा। नर्मदा को बचाने का कार्य करें। मध्य प्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है। इन नदियों को संरक्षित करें एवं पुराने सभी जल स्रोतों को संरक्षित करने का कार्य करें। मंत्री पटेल ने यह विचार रविवार को सागर जिले के देवरी में कोपरा नदी के उद्गम स्थल में पूजा-अर्चना करने के बाद आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। इस अवसर पर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह, अनिल डिमोले, अवनीश मिश्रा, जिला पंचायत के मुख्य कार्य पालन अधिकारी विवेक के वी, एसडीएम मुनव्वर खान सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि अधिकारी एवं ग्रामवासी मौजूद थे।
मंत्री पटेल ने देवरी में 77वीं नदी उद्गम स्थल कोपरा नदी पर पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज बड़ी खुशी की बात है कि जब हम 77वीं नदी के उद्गम स्थल कोपरा नदी के उद्गम पर पहुंचे हैं। मध्य प्रदेश में लगभग 247 से अधिक नदी उद्गम है। इसलिए मध्य प्रदेश को नदियों का मायका भी कहा जाता है। हमें नदियों को संरक्षित एवं संरक्षण देने की बात करनी चाहिए। इसी प्रकार सभी पुराने जल स्रोतों को संरक्षित करें और अपनी भावी पीढ़ी को शुद्ध पेयजल मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि नदी तालाब में आज की स्थिति में पानी की कमी बनती जा रही है इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं क्योंकि हमें अपने जीवन में पानी का अपव्यय रोकना चाहिए, जिससे कि आने वाली पीढ़ी को पानी उपलब्ध हो सके अन्यथा पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था कि आने वाला चौथा विश्व युद्ध पानी के लिए ही होगा। हमें इस चौथी विश्व युद्ध को रोकना होगा और पानी बचाना होगा उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में एक व्यक्ति को 50 लीटर से अधिक पानी की आवश्यकता होती है और हमें पानी बचाना होगा।
मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि हमें प्रकृति के खिलाफ कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार कोई भी वृक्ष नहीं काटना चाहिए और अधिक से अधिक पौधा लगाकर संकल्प लेना चाहिए कि उनका काम से कम 7 वर्ष तक उनकी देखभाल करेंगे यदि आपने 7 वर्ष तक एक पौधे की देखभाल कर ली तो आपकी आने वाली पीढ़ियों को पेड़ से छाया और फल मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब भी आप पौधारोपण करें तो पहले फेंसिंग करें और उसके लिए पानी की भी व्यवस्था करें जिससे कि पौधारोपण सफल हो सके। उन्होंने कहा कि हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को शुद्ध पानी हवा देने के लिए पौधारोपण एवं पानी को बचाना ही होगा।
(Udaipur Kiran) तोमर
