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हाईकोर्ट ने बागपत में करोड़ों की ठगी की एफआईआर दर्ज न करने को गम्भीरता से लिया

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

-कोर्ट ने कहा, अधिकारी समस्या का समाधान कर हलफनामा दाखिल करें या कारण स्पष्ट करें

प्रयागराज, 20 जून (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग़रीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर रजिस्ट्रेशन शुल्क के तौर पर बागपत में करोड़ों की ठगी की एफआईआर न दर्ज किए जाने को गम्भीरता से लिया है।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि या तो याचियों की शिकायत का समाधान कर अनुपालन का हलफनामा दाखिल करें या ऐसा न करने का कारण स्पष्ट करें। इस आदेश का पालन न करने की स्थिति में सम्बंधित अगली सुनवाई की तिथि सात जुलाई को सुबह 10 बजे कोर्ट उपस्थित हों। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ एवं न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने मंजू देवी व तीन अन्य की याचिका पर सभी पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनकर दिया है।

याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बागपत में परिवार उत्थान समिति नाम की संस्था में ग़रीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर रजिस्ट्रेशन शुल्क के तौर पर करोड़ों की ठगी की गई। याचियों सहित कई ग्रामीण महिलाओं ने योजना के क्रियान्वयन को लेकर संस्था से सम्बंधित लोगों को ध्यान दिलाना चाहा तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाने लगी। इस पर उन महिलाओं ने थाना प्रभारी व पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र दिया लेकिन उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। साथ ही जब पूरा घटनाक्रम डीएम बागपत के संज्ञान में आया तो उन्होंने जांच कर आख्या देने का निर्देश दिया। लेकिन वह भी अब तक लम्बित है।

अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने कई आदेशों में कहा है कि प्रार्थना पत्र में संज्ञेय अपराध दृष्टिगोचर हो रहा है तो सम्बंधित थाना प्रभारी का यह कर्तव्य है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर घटनाक्रम की निष्पक्षता पूर्वक जांच करें। लेकिन इसके बाद भी याची महिलाओं की रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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