Assam

राज्य भर में मनाया जा रहा बिष्णु राभा दिवस

कलागुरु बिष्णु प्रसाद राभा।

गुवाहाटी, 20 जून (Udaipur Kiran) । आज 20 जून, एक ऐसा दिन जिसे हर वर्ष ‘विष्णु राभा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। असमिया समाज, संस्कृति और संगीत को समृद्ध बनाने वाले महान कलाकार, क्रांतिकारी और साहित्यकार सैनिक-शिल्पी ‘कलागुरु विष्णुप्रसाद राभा’ की स्मृति में यह दिन राज्यभर में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है।

राज्य के विभिन्न हिस्सों में आज इस अवसर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। कलागुरु राभा की बहुआयामी प्रतिभा और योगदान को याद करते हुए कलाकार, कवि, लेखक, रंगकर्मी, गायक, नर्तक, चित्रकार और अभिनेता उन्हें अपनी-अपनी विधाओं में श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। पूरा असम आज बिष्णु राभा की रचनाओं और सांस्कृतिक चेतना से गूंज उठा है।

उल्लेखनीय है कि कलागुरु विष्णुप्रसाद राभा का जन्म 31 जनवरी, 1909 को ढाका में हुआ था। वे असमिया संस्कृति के ऐसे साधक थे, जिन्होंने कला और संगीत को सामाजिक चेतना के साथ जोड़ा। राभा की रचनाओं को आज ‘विष्णु राभा संगीत’ के नाम से जाना जाता है। वे एक क्रांतिकारी विचारक भी थे जिन्होंने अपनी कला को सामाजिक संघर्ष से जोड़ा।

20 जून, 1969 को तड़के 2:25 बजे तेजपुर में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके सांस्कृतिक योगदान से प्रभावित होकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने उन्हें ‘कलागुरु’ की उपाधि से सम्मानित किया था।

विष्णु राभा एक सच्चे बहुआयामी कलाकार थे—वे कवि, लेखक, नाटककार, संगीतज्ञ, चित्रकार, अभिनेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने कहानियां, उपन्यास, कविताएं, और समाज-संस्कृति पर लेख लिखे। उनकी रचनाएं आज भी सामाजिक और सांस्कृतिक विमर्श में प्रासंगिक बनी हुई हैं।

राजनीतिक क्षेत्र में भी राभा ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। 1955 में उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) में प्रवेश किया और 1957 में बरपेटा से विधानसभा चुनाव लड़ा, हालांकि वे विजयी नहीं हो सके। 1967 में वे तेजपुर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1968 में उन्होंने कोकराझाड़ से लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए।

आज का दिन असम की सांस्कृतिक चेतना और गौरव के प्रतीक विष्णु राभा की स्मृति को नमन करने का दिन है।

(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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