
–बाल नाटक ‘आर्टिकल 19’ में गूंजी असली आजादी की पुकार
प्रयागराज, 19 जून (Udaipur Kiran) । “हम आजाद तो हैं… पर क्या सच में?“ यह सवाल बच्चों की जुबां से निकला नहीं, बल्कि सीधे दिलों में उतर गया। गुरुवार को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जब मंच पर पेश हुआ बाल कलाकारों द्वारा तैयार नाटक “आर्टिकल 19ः ए थिएट्रिकल ट्रिब्यूट टू अनसंग हीरोज”।
ग्रीष्मकालीन प्रस्तुतिपरक बाल नाट्य कार्यशाला के समापन अवसर पर दूसरे दिन बाल कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को भीतर तक झकझोर दिया। अंग्रेजों की गुलामी से मिली आजादी के बाद भी सोच, सपनों और अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठाता यह नाटक हर किसी को सोचने पर मजबूर कर गया। नाटक में एक जोकर की चुप्पी बहुत कुछ कह गई “ये कैसी आजादी है जहां जीने के लिए भी इजाजत लेनी पड़ती है?“ एक बहू अपनी डिग्री रसोई की आग में जला देती है, एक बेटी चुपचाप पूछती है क्या उसे भी सपने देखने की इजाजत है? एक माँ आज भी डरती है सवाल पूछने से“। क्योंकि उसकी आवाज किसी और औरत की उड़ान न रोक दे…“।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि धनंजय सिंह (आईडीएएस, मध्य वायु कमान) ने कहा, एनसीजेडसीसी बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने का जो दायित्व निभा रहा है वह काबिले तारीफ है। इस नाट्य प्रस्तुति में बच्चों ने आजादी के अर्थ को नई दृष्टि से समझाया। हम अंग्रेजों से तो मुक्त हो गए, लेकिन भीतर की बेड़ियों से अब भी लड़ रहे हैं। सुरेंद्र कश्यप (सहायक निदेशक) ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इस बेबाक मंचन ने न सिर्फ बच्चों की कलात्मक अभिव्यक्ति को स्वर दिया, बल्कि समाज को आईना भी दिखाया। यह नाटक नहीं एक सन्नाटे की आवाज थी, जो हर घर में गूंजती है।
नाटक का निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली, थियेटर इन एजुकेशन के विशेषज्ञ कुलदीप सिंह ने किया। आर्य नंदनी ने चन्द्रशेखर आजाद के जीवन चरित्र को अभिनय के माध्यम से जीवंत किया। वहीं अनुराग, इश्तिता, स्तुति, निहारिका, वैष्णवी, लक्ष्य, निवेश, मृत्युंजय, ओजस, श्रीन, विधि, शांभवी के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
