शिमला, 19 जून (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश की सियासत उस समय गरमा गई जब कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार के बेटे और पूर्व सीपीएस नीरज भारती ने सोशल मीडिया पर इस्तीफे को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कि मंत्री चंद्र कुमार इस्तीफा देंगे क्योंकि “काम अगर दलालों के होंगे तो मंत्री बनकर क्या फायदा।” इस पोस्ट के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई।
हालांकि गुरूवार को खुद मंत्री चंद्र कुमार ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि इस्तीफे की कोई जरूरत नहीं पड़ी और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से बातचीत कर मामला सुलझा लिया गया है। उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि ट्रांसफर और एडजस्टमेंट को लेकर पूरे प्रदेश में गंभीर स्थिति है, खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में जहां ट्रांसफर माफिया सक्रिय है और कुछ कार्यकर्ताओं ने इसे पेशा बना लिया है।
ट्रांसफर का बन गया है पेशेवर कारोबार
चंद्र कुमार ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में भी कई लोग ट्रांसफर और एडजस्टमेंट के मामलों को लेकर बार-बार दबाव बनाते हैं, लेकिन नीतिगत निर्णयों की बात कोई नहीं करता। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ कार्यकर्ता ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे वे खुद विधायक हों और हर नियुक्ति और ट्रांसफर में हस्तक्षेप करना उनका हक है। मंत्री ने कहा कि यह प्रवृत्ति न केवल असंवैधानिक है, बल्कि सरकार की साख को भी नुकसान पहुंचा रही है।
ट्रांसफर पॉलिसी पर बनी सहमति, पर अमल नहीं
मंत्री चंद्र कुमार ने यह भी कहा कि ट्रांसफर को लेकर एक ठोस नीति बनाने की चर्चा सरकार में कई बार हुई है, लेकिन अब तक वह अमल में नहीं लाई जा सकी।
नीरज भारती की पोस्ट बनी विवाद की वजह
इस पूरे विवाद की जड़ नीरज भारती की वह सोशल मीडिया पोस्ट बनी जिसमें उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफे की बात करते हुए ट्रांसफर सिस्टम पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने लिखा था काम अगर दलालों के होंगे तो मंत्री बनकर क्या फायदा। इस पोस्ट के सामने आते ही राजनीतिक हलकों में बवाल मच गया। हालांकि कुछ ही घंटों बाद नीरज ने दूसरी पोस्ट डालकर लिखा कि उन्हें चौधरी साहब (चंद्र कुमार) से आश्वासन मिल गया है और वे मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे।
यह पहली बार नहीं है जब नीरज भारती ने अपनी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जताई हो। पिछले महीने नगरोटा सूरियां में एक बैठक के दौरान उन्होंने तीखे शब्दों में सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे।
केंद्र की आपदा राहत राशि पर भी साधा निशाना
इस दौरान मंत्री चंद्र कुमार ने केंद्र सरकार द्वारा 2023 की प्राकृतिक आपदा के लिए भेजी गई 2006 करोड़ की राहत राशि को ऊंट के मुंह में जीरा बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नुकसान का जो आकलन किया गया था, उसके मुकाबले यह राशि बेहद कम है। उन्होंने केंद्र से मांग की कि वह हिमाचल के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करे।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
