
कोलकाता, 19 जून (Udaipur Kiran) ।
कालीगंज विधानसभा सीट पर जारी उपचुनाव के दौरान गुरुवार सुबह से ही मतदान केंद्रों पर तनाव और आरोप-प्रत्यारोप का माहौल बना रहा। भाजपा उम्मीदवार आशीष घोष ने आरोप लगाया कि देवग्राम के चांदघर आदर्श विद्यापीठ स्थित बूथ संख्या 54 पर उनके एजेंट को बैठने नहीं दिया गया। इस दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों ने भी उन्हें बूथ में प्रवेश करने से रोक दिया, जिसके बाद मौके पर तीखी नोंकझोंक हुई।
आशीष घोष ने सीधे तौर पर प्रिसाइडिंग ऑफिसर पर तृणमूल कांग्रेस का कैडर होने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह पक्षपात कर रहे हैं और तृणमूल के निर्देशों पर काम कर रहे हैं। वहीं प्रिसाइडिंग ऑफिसर ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि शुरुआती स्तर पर कुछ ‘गलतफहमी’ थी और बाद में भाजपा एजेंट को बूथ में प्रवेश करने की अनुमति दे दी गई।
घटना के बाद मौके पर भाजपा कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पहुंच गए और स्थिति तनावपूर्ण हो गई। हालात को देखते हुए भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किया गया। इसी बीच चुनाव आयोग की ओर से फोन कॉल आने के बाद प्रिसाइडिंग ऑफिसर ने एजेंट को अंदर जाने की अनुमति दी और कहा कि यह सिर्फ एक ‘मिसअंडरस्टैंडिंग’ थी।
हालांकि भाजपा उम्मीदवार और अन्य कार्यकर्ताओं ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सवाल उठाया कि जब दो घंटे से अधिक समय तक मतदान हो चुका था, तब एजेंट को अंदर क्यों नहीं बैठने दिया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि यह चुनाव की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
भाजपा उम्मीदवार आशीष घोष ने मीडिया से कहा, “प्रिसाइडिंग ऑफिसर कुछ भी कहें, वे तृणमूल के ही कैडर हैं। वे तृणमूल के निर्देश पर काम कर रहे हैं और हमने इस बारे में चुनाव आयोग को जानकारी दी है।”
इस पूरे विवाद के बीच तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार अलिफा अहमद ने सुबह मतदान करते हुए टिप्पणी की थी कि “जब विपक्ष एजेंट नहीं दे पा रहा है, तो इसमें सत्तारूढ़ दल क्या कर सकता है?”
कालीगंज उपचुनाव में मतदान प्रक्रिया के दौरान ईवीएम खराबी की शिकायतें भी कई बूथों से सामने आई हैं। साथ ही कई अन्य बूथों पर विपक्षी एजेंटों को बूथ से बाहर करने के आरोप भी लगाए गए हैं। इन सभी घटनाओं ने चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
