
उज्जैन, 17 जून (Udaipur Kiran) । आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा, 26 जून से सर्वार्थ सिद्धि योग में गुप्त नवरात्र प्रारंभ होगी। इस बार देवी आराधना का पर्वकाल पूरे नौ दिन का रहेगा।
ज्योतिषाचार्य पं.हरिहर पण्ड्या के अनुसार जब नवरात्र पूर्ण हो तथा किसी भी तिथि का कोई क्षय न हो, तो यह विशेष बलशाली व प्रभावकारी मानी जाती है। विशिष्ट योगों की साक्षी से इसकी शुभत और बढ़ जाती है। उन्होने बताया कि इस बार गुप्त नवरात्र में साधना,आराधना की दृष्टि से महत्वपूर्ण रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का महासंयोग बन रहा है। श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के अनुसार देवी दुर्गा की साधना आराधना के लिए वर्ष भर में चार नवरात्र माने गए हैं। इनमें दो गुप्त तथा दो प्राकट्य नवरात्र हैं।
चैत्र व अश्विन मास के नवरात्र को प्राकट्य तथा माघ व आषाढ़ मास के नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। देवी की आराधना के लिए चारों नवरात्र विशेष हैं। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्र में तंत्र,मंत्र व यंत्र की सिद्धि के लिए साधक गुप्त आराधना करते हैं। उज्जैन आदि अनादि काल से शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां शक्तिपीठ हरसिद्धि, सिद्धपीठ गढक़ालिका, चौसठ योगिनी, नगरकोट माता, भूखी माता, चामुंडा माता सहित अन्य प्राचीन देवी मंदिर हैं।
चातुर्मास से पहले शुभ कार्यों के लिए महत्वपूर्ण समय
26 जून से प्रारंभ हो रही गुप्त नवरात्र की पूर्णाहुति 4 जुलाई को भड्डली नवमी के दिन होगी। यह समय धर्म, अनुष्ठान व सिद्धि की प्राप्ति के लिए तो विशेष माना गया है। शुभ मांगलिक कार्यों के लिए भी विशेष है। क्योंकि इसमें पांच दिन रवि पूष्य योग तथा तीन दिन सर्वार्थसिद्धि योग का महासंयोग बन रहा है। इन योगों में की गई साधना आराधना तथा शुभ कार्य विशेष फल प्रदान करते हैं। इसलिए नवीन कार्यों के शुभारंभ, खरीदी, शादी, सगाई आदि में इनका लाभ लिया जा सकता है।
ज्ञात रहे नवरात्र के बाद 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का शुभारंभ हो जाएगा। इसके बाद शुभ, मांगलिक कार्यों के लिए चार माह का इंतजार करना पड़ेगा
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
