Jharkhand

रामगढ़ डीसी ने 50 हजार से अधिक लोगों को दिलायी फर्स्ट एड की ट्रेनिंग

रामगढ़ डीसी फ़ैज़ अक अहमद मुमताज

रामगढ़, 17 जून (Udaipur Kiran) । आप ऑफिस में काम कर रहे हो या रेस्टोरेंट में परिवार के साथ एंजॉय कर रहे हो। आपकी सांस कहीं भी बंद हो सकती है। हादसे ना तो बता कर आते हैं और ना ही मौत का कोई समय तय है। लेकिन हादसों के बाद अगर तत्काल प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध हो जाए, तो जिंदगी बचाई जा सकती है। ऐसे लाखों मामले सामने आए हैं, जहां प्राथमिक चिकित्सा के आभाव में इंसान की जान चली गई‌। रामगढ़ डीसी फ़ैज़ अहमद मुमताज इंसानी जिंदगी को बचाने के लिए पिछले कई वर्षों से अभियान चला रहे हैं। उनका मानना है कि फर्स्ट एड बेहद जरूरी है। यह ना तो सिर्फ अस्पताल के लिए है और ना ही किसी पढ़े लिखे इंसान के लिए। हमारे समाज के हर वर्ग में ऐस वॉलिंटियर्स होने चाहिए जो फर्स्ट एड उपलब्ध करा सकें।

सीपीआर से बंद हुई सांस हो सकती है शुरू: फ़ैज़

डीसी फ़ैज़ अहमद मुमताज ने बताया कि सीपीआर एक ऐसा तकनीक है जो इंसान की बंद हुई सांस को दोबारा शुरू कर सकता है। इस विधि को जानना बेहद जरूरी है। आज हार्ट अटैक और बेहोश होने की शिकायत लगभग हर जगह से आने लगी है। रेस्टोरेंट और बार में काम कर रहा वेटर, खेत में काम कर रहा किसान, ऑफिस में काम कर रहे साथी, खेल के मैदान में साथ दौड़ रहे खिलाड़ी अगर तत्काल सीपीआर दे सकें तो कई लोगों की जान बच सकती है।

50000 से अधिक लोगों को दिला चुके हैं प्रशिक्षण

डीसी फ़ैज़ अक अहमद मुमताज की जिस विभाग और जिले में पदस्थापना हुई वे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को करते आए हैं। उन्होंने 50000 से अधिक पुरुषों और महिलाओं को प्रशिक्षित कराया है। इनमें रेस्टोरेंट और बार के कर्मचारी, किसान, एक्साइज डिपार्टमेंट के कर्मचारी, बागवानी से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण दिलाया है। 15 वर्ष से 65 वर्ष के बीच के लोगों को बतौर फर्स्ट एड वॉलिंटियर्स के रूप में तैयार कर चुके हैं।

रामगढ़ में 2000 से अधिक मास्टर ट्रेनर की बन रही सूची

रामगढ़ डीसी के रूप में पदस्थापित होने के बाद फ़ैज़ अक अहमद मुमताज ने भी इस अभियान को अमली जामा पहनाने के लिए पहल शुरू कर दिया है। उन्होंने पूरे जिले से वैसे लोगों की सूची मंगाई जो फर्स्ट एड का प्रशिक्षण लेने के लिए इच्छुक हैं। 15 से 65 वर्ष के बीच के लोगों की सूची तैयार की जा रही है। अभी तक 2000 से अधिक लोग इस सूची में शामिल हो चुके हैं। एक हफ्ते तक इन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। पूरा प्रशिक्षण लेने के बाद वे गांव-गांव तक जाकर वॉलिंटियर्स टीम तैयार करेंगे।

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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश

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