
कानपुर, 16 जून ( हि. स.)। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में गिगनाती एआई एकेडमी के साथ मिलकर इंट्रोडक्शन टू ए आई एजेंट्स नामक एक 10 दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का उद्घाटन सीनेट हॉल में हुआ। यह जानकारी सोमवार को विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल शर्मा ने दी।
डॉ. विशाल शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों, छात्रों, और तकनीकी क्षेत्र में रुचि रखने वालों को एजेंटिक एआई, प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग और गिग इकोनॉमी जैसी उभरती तकनीकों में दक्ष बनाना है। यह कार्यक्रम दो बैचों में संचालित किया जाएगा, जिसमे पहला बैच 16 से 28 जून और दूसरा दो से 15 जुलाई तक चलेगा।
प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने कहा कि गिगनाती जैसी अग्रणी टेक्नोलॉजी आधारित संस्था के साथ यह साझेदारी विश्वविद्यालय के तकनीकी एवं अकादमिक विकास के लिए एक बड़ी पहल है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हमारे फैकल्टी मेंबर्स और छात्र न केवल एआई टूल्स की तकनीकी समझ प्राप्त करेंगे, बल्कि उन्हें उपयोग करके शिक्षण प्रशिक्षण के क्षेत्र में इनोवेटिव समाधान विकसित करना भी सीखेंगे।
प्रति कुलपति ने कहा कि आज का समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का है, यह कई क्षेत्रों में कारगर है, जैसे लाइफ साइंस, इंजीनियरिंग, ह्यूमैनिटीज इत्यादि। उन्होंने कहा कि एआई के माध्यम से शिक्षा प्रणाली को और दुरुस्त किया जा सकता है। एआई एजेंट्स पाठ्यक्रम को तैयार करने और विदेशी भाषाएं सीखने में सहायक साबित हो सकते है। जरूरत बेहतर प्रशिक्षण की है, जिसके लिए सीएसजेएमयू और गिगनाती ने मिलकर आगे बढ़ाने की पहल शुरू की है। एआई एजेंट्स शिक्षकों के लिए कई प्रकार से सहायक है, जैसे टीचर्स इंटेलिजेंस ट्यूटोरियल सिस्टम, लर्निंग एनालिटिक्स बोट्स, वर्सेटाइल टीचिंग असिस्टेंट, ऑटोमेटिक ग्रेडिंग सिस्टम। इनके माध्यम से शिक्षण कार्यों से लेकर मूल्यांकन तक में शिक्षकों के कार्यों को आसान और सुलभ बनाया जा सकता है।
गिगनाती एआई एकेडमी के सीईओ योगेश हुजा ने बताया कि “ फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में हर दिन तीन घंटे की क्लास होगी, जिसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों को समान रूप से महत्व दिया जायेगा। प्रोग्राम में एआई एजेंट्स का निर्माण, एपीआई इंटीग्रेशन, मल्टी एजेंट फ्लोज़, टोकनोमिक्स और गिग वर्क इकोनॉमी जैसे इनोवेटिव विषय शामिल हैं।”
इस अवसर पर कुलसचिव राकेश कुमार ने कहा कि हम सभी भली भांति जानते हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता आज केवल एक तकनीकी विषय नहीं रह गई है। बल्कि यह शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग और प्रशासन जैसे अनेक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है। ऐसे में शिक्षकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि वे इन नवाचारों को समझें, आत्मसात करें ताकि विद्यार्थियों को बदलते तकनीकी माहौल में उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षण प्रशिक्षण को पहुंचाने में आसानी हो सके।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण कार्यशाला के माध्यम में सहभागिता करने वाले प्रतिभागियों को वीआईबीई कोडिंग, प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग की बारीकियां, और डिजिटल वर्कर्स बनाने के व्यावहारिक प्रशिक्षण और एजेंटिक बिज़नेस केस तैयार करने की प्रक्रिया भी सिखाई जाएगी। कार्यक्रम का संचालन डॉ अंशु सिंह ने किया। कार्यक्रम में डॉ संदेश गुप्ता, डॉ आलोक कुमार सहित सभी विभागों के शिक्षक और छात्र मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद
