
प्रयागराज, 16 जून (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपहरण और हत्या के आरोपित नौशाद व अहसान को अपहरण एवं हत्या के आरोप से बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा।
न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता तथा न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट के दोष सिद्धि और उम्रकैद की सजा आदेश को रद्द कर दिया। जांच में गंभीर अनियमितताओं और अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों की विश्वसनीयता संदिग्ध होने के कारण हाईकोर्ट ने सजा रद्द की।
यह मामला 10 अगस्त, 2017 का है, जब नदीम ने अपने बेटे मो. जैद (5) के लापता होने की अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। हालांकि, उसी दिन बाद में नदीम ने एक और आवेदन दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि अहसान (जो उसके साथ काम करता था) और नौशाद (अहसान का रिश्तेदार) ने उसके बेटे का अपहरण किया है। कहा कि गुलशेर और शारिक ने उन्हें जैद को ले जाते हुए देखा था और सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध था।
11 अगस्त, 2017 को कथित तौर पर नौशाद और अहसान की निशानदेही पर जैद का शव याकूब के गन्ने के खेत से बरामद किया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण डूबने से दम घुटना बताया गया।
कोर्ट ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित था, क्योंकि घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। कहा कि अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए परिस्थितिजन्य साक्ष्य की श्रृंखला पूरी और निर्विवाद होनी चाहिए और कोई अन्य परिकल्पना नहीं होनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि गवाहों नदीम और गुलशेर के बयानों में विरोधाभास है, खासकर अहसान और नौशाद द्वारा जैद को ले जाने की बात बताने के संबंध में। कहा कि अभियुक्तों से पूछे गए प्रश्न अत्यधिक जटिल थे और उचित और निष्पक्ष स्पष्टीकरण देने के उनके अवसर को बाधित कर सकते थे। अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के लिए अपराध करने का कोई स्पष्ट मकसद स्थापित नहीं कर सका।
अदालत ने तत्कालीन एसएचओ, पंकज कुमार त्यागी द्वारा की गई जांच के “पूरी तरह से सुस्त और अनुशासनहीन तरीके“ पर कड़ी टिप्पणी की और उन्हें ऐसे जटिल मामलों की जांच करने में “अक्षम“ अधिकारी करार दिया। कोर्ट ने कहा अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपराध साबित करने में नाकाम रहा।
कोर्ट ने फैसले की एक प्रति डीजीपी, उत्तर प्रदेश, लखनऊ को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजने का निर्देश दिया है, ताकि भविष्य में इस तरह की खामियों को रोका जा सके।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
