हल्द्वानी, 20 नवंबर (Udaipur Kiran) । महाराणा प्रताप प्रौद्योगिकी और कृषि विश्वविद्यालय, राजस्थान और उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने आज एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत दोनों विश्वविद्यालय शोध और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग करेंगे। इस समझौते से दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों को नए अवसर मिलेंगे। वे एक-दूसरे के अनुभव और ज्ञान से लाभान्वित होंगे। विशेष रूप से, कृषि क्षेत्र में नवाचार और बीजों की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
इस मौके पर विशिष्ठ अतिथि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने कहा कि इस तरह के करार से शिक्षार्थियों को एक बड़ा फलक मिल पाएगा, जिससे उनके लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
प्रो. अजीत कर्नाटक ने कहा कि बीजों से पैदावार बढ़ाने को लेकर देशभर में बहुत काम हो रहा है लेकिन पेस्टिसाइड्स के अधिक इस्तेमाल को हमें रोकना होगा। हमें हरित क्रांति के दुष्प्रभावों को देखना होगा। उसी के अनुसार आगे की रणनीतियां बनानी होंगी।
उन्होंने कहा कि उनके विश्वविद्यालय ने 14 से अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ करार किया हुआ है जिससे अभी तक पांच विद्यार्थी विदेश में पढ़ने जा चुके हैं। उन्होंने उत्तराखंड मुक्त विवि की सराहना करते हुए कहा कि यहां पर आईसीटी व शिक्षार्थियों के लिए पाठ्यसामग्री बहुत अच्छी व गुणवत्ता की तैयार की जा रही हैं जिसका लाभ निश्चय ही उनके विवि के विद्यार्थी ले पाएंगे।
उन्होंने विवि के बारे में बताते हुए कहा कि मोटा अनाज व आईएसओ सर्टिफिकेशन के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए विवि को राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहा कि देश की 65 फीसद जनसंख्या आज भी सीधे ताैर पर खेती से जुड़ी है। ऐसे में कृषि के क्षेत्र में शोध व नवाचार की बहुत आवश्यकता है।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओपीए नेगी ने विश्वविद्यालय के कार्यों पर एक पीपीटी प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय में विज्ञान शाखा के निदेशक प्रो. पीडी पंत ने व विवि के कुलसचिव खीमराज भट्ट ने सभी का आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर विश्वविद्यलाय के प्रो. मंजरी अग्रवाल, प्रो. डिगर सिंह फरस्वाण, डा. कलपना लखेड़ा पाटनी, डा. रंजू जोशी, प्रो, राकेश चन्द्र रयाल समेत सभी अकादमिक स्टाफ मौजूद रहा।
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(Udaipur Kiran) / अनुपम गुप्ता