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हाईकोर्ट ने यूपी विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध कानून के तहत आरोपित को दी जमानत 

इलाहाबाद हाईकोर्ट

–बजरंग दल के सदस्य के कहने पर दर्ज हुआ था केस

प्रयागराज, 19 नवम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 वर्षीय लड़की के अपहरण, बलात्कार और धर्म परिवर्तन के आरोपित व्यक्ति की जमानत याचिका मंजूर कर लिया। कोर्ट ने यह देखते हुए कि पीड़िता की शादी उसकी सहमति से आरोपित के साथ हुई थी और पीड़िता वर्तमान में वयस्क हो चुकी है, याची को कोर्ट ने इस कारण जमानत दे दी।

हाईकोर्ट धारा 363, 366, 506, 323, 376 आईपीसी और 3/4 पोक्सो अधिनियम और यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 3/5(1) के तहत जीआरपी कानपुर में दर्ज आपराधिक मामले में आवेदक को जमानत पर रिहा करने की मांग वाली जमानत याचिका पर विचार कर रहा था।

न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने जमानत अर्जी पर आदेश पारित करते हुए कहा कि एफआईआर दर्ज करने के समय पीड़िता की आयु 17 वर्ष से अधिक थी और सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज उसके दोनों बयानों से यह पता चलता है कि उसने अपनी इच्छा से आवेदक के साथ विवाह किया था।

बजरंग दल के एक सदस्य के कहने पर एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर के अनुसार, आवेदक एक हिन्दू नाबालिग लड़की का अपहरण कर रहा था और लड़की रो रही थी। इसमें आगे बताया गया कि लड़की 10वीं कक्षा की छात्रा थी और उसकी जन्मतिथि 30 जून 2006 है। एफआईआर के अनुसार आवेदक ने लड़की को बहला-फुसलाकर भगाया और उसका धर्म परिवर्तन करवाकर उसके साथ शारीरिक सम्बंध बनाए।

आवेदक जावेद आलम का कहना था कि पीड़िता की उम्र 18 साल से ज़्यादा थी और उसकी शादी सहमति से हुई थी। यह दलील दी गई कि ट्रेन में यात्रा के दौरान पति-पत्नी के बीच कुछ विवाद हुआ और इसी दौरान बजरंग दल के सदस्यों ने हस्तक्षेप किया और याची को पुलिस के हवाले कर एफआईआर दर्ज करवाई। यह भी दलील दी गई कि एफआईआर दर्ज करवाने के समय पीड़िता की उम्र 17 साल से ज़्यादा थी और वर्तमान में वह 18 साल से ज़्यादा की एक बालिग लड़की है।

पीड़िता के वकील ने यह भी माना कि पीड़िता ने अपनी मर्जी से याची के साथ विवाह किया है और यदि याची को जमानत पर रिहा किया जाता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।

मामले के रिकॉर्ड को देखने के बाद कोर्ट ने पाया कि एफआईआर दर्ज करवाने के समय पीड़िता की उम्र 17 साल से अधिक थी और धारा 161 और 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज किए गए उसके दोनों बयानों से पता चलता है कि उसने अपनी मर्जी से आवेदक से शादी की थी। इसके अलावा, जांच के दौरान पीड़िता ने खुद हलफनामा दायर किया कि आवेदक उसका पति है और उसने खुद अपनी मर्जी से उससे शादी की थी। कोर्ट ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि वर्तमान में पीड़िता 18 साल से अधिक उम्र की एक वयस्क है।

हाईकोर्ट ने पाया कि याची का कोई पिछला आपराधिक इतिहास नहीं है और वर्तमान मामले में वह लगभग डेढ़ साल से जेल में है। आवेदक जमानत पर रिहा होने का हकदार है। कोर्ट ने याची को जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी लगाईं।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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