नैनीताल, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । छात्र संघ चुनाव मामले में हाई काेर्ट ने राज्य के शासनादेश और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशाें का अंतर स्पष्ट करने के लिए सरकार से कहा है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 नवंबर की तिथि नियत की है।
हाई कोर्ट में प्रदेश में छात्र संघ के चुनाव न कराए जाने के मामले एक दायर की गई है। गुरुवार काे इस पर न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। किशन सिंह ने हाई कोर्ट में अपनी याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा था कि सभी विश्वविद्यालयाें में सितंबर माह तक एडमिशन पूरा करके छात्र संघ का चुनाव सम्पन्न करा लें, लेकिन कई विवि ने अक्टूबर माह तक छात्रों के एडमिशन कराए हैं, ऐसे में सितंबर माह में चुनाव कैसे हो सकते है। यह आदेश गलत है कि इस पर रोक लगाई जाए। याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट, सुप्रीम काेर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया है। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने कमेटी की रिपोर्ट, यूजीसी के नियमों व विश्वविद्यालय के नियमावली का उल्लंघन करके एक आदेश पारित कर दिया। सितंबर माह तक चुनाव कराने की तिथि तक नियत कर दी। जब अक्टूबर माह तक एडमिशन हुए है तो सितंबर में बिना छात्रों के चुनाव कैसे सम्भव। राज्य सरकार को यह पावर नही है कि वह किसी भी विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कलेंडर निर्धारित करें। इसका अधिधार केंद्र सरकार व यूजीसी को है।
गुरुवार काे सुनवाई के बाद हाई काेर्ट ने राज्य सरकार से कहा राज्य सरकार के शासनादेश व लिंगदोह कमेटी की सिफारिशाें में क्या अंतर है, उसे स्पष्ट करें। इसके बाद काेर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 26 नवंबर की तिथि नियत कर दी।
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(Udaipur Kiran) / लता