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जौलजीबी मेला भारत, तिब्बत व नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों के आपसी सौहार्द को बढ़ाता है: धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जौलजीबी मेला को संबोधित करते।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जौलजीबी मेला में उपस्थित लोगों को संबोधित करते।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जौलजीबी मेला में।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जौलजीबी मेला का शुभारंभ करते।

-यह मेला भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक के साथ आर्थिक सबंधों को बढ़ाता है

-मुख्यमंत्री ने 64.47 करोड़ की 18 योजनाओं का किया लोकार्पण और शिलान्यास

पिथौरागढ़, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को ऐतिहासिक जौलजीबी मेला-2024 का शुभारंभ किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मेला राज्य के लिए एक अनमोल धरोहर है, जो सदियों से भारत-तिब्बत, भारत नेपाल और सीमावर्ती क्षेत्रों में आपसी सौहार्द को बढ़ाता आ रहा है। दस दिन तक इस सीमा क्षेत्र में भारत और नेपाल की सांस्कृतिक बयार बहती है।

इस माैके पर मुख्यमंत्री ने 64.47 करोड़ की 18 योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। जिसमें 29.65 करोड़ के 13 कार्याें का लोकार्पण एवं 34.72 करोड़ के पांच शिलान्यास शामिल हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों की ओर से बनाये जा रहे विभिन्न उत्पादों का अवलोकन भी किया।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जौलजीबी मेला हमारी समृद्ध परंपराओं को संजोने का कार्य करता है। यहां का नेपाल और तिब्बत से सदियों से सांस्कृतिक संबंध रहा है। नेपाल से इस क्षेत्र का रोटी और बेटी का सबंध है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारे संबंध और मजबूत हो रहे हैं। केदारनाथ और पशुपतिनाथ के बीच आध्यात्मिक यात्रा से भी दोनों राष्ट्रों के सबंधों को मजबूती मिली है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मेला भारत और नेपाल के बीच आर्थिक सबंधों को बढ़ाने का कार्य भी करता है। यह मेला छोटे व्यापारियों, किसानों और कारीगरों को अपने उत्पादों का मंच प्रदान करने का बड़ा माध्यम है। हमारी अनेक प्रकार की औषधियों को प्रोत्साहित करने में भी यह मेला महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। जिन गांवों को पहले अंतिम गांव कहा जाता था, इस अवधारणा को बदलकर प्रधानमंत्री ने इन गांवों को देश के पहले गांवों की संज्ञा दी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय को बढ़ाने के लिए परंपरागत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से मंडवा, झिंगोरा और अन्य स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्टेट मिलेट मिशन को मंजूरी दी गई है। राज्य में कलस्टर आधारित 18 हजार पॉली हॉऊस बनाने का निर्णय लिया गया है। सड़क कनेटिविटी में विस्तार से किसानों को अपनी उपज को मंडी तक पहुंचाने में आसानी हुई है।

सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है सीमांत क्षेत्रों का विकास

मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमवार्ती क्षेत्रों में आधुनिक सड़कों, सुरंगों और पुलों का निर्माण किया जा रहा है। सीमांत क्षेत्रों के विकास सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में हैं। इन क्षेत्रों के विकास के लिए अनेक कार्ययोजनाओं की मंजूरी दी गई है। मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के तहत पहले चरण में 16 पौराणिक मंदिरों को विकसित किया जा रहा है।

दस हजार लोग कर चुके हैं आदि कैलाश के दर्शन

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के आदि कैलाश आने के बाद इस क्षेत्र में तेजी से आवागमन बढ़ा है। पिछले साल की तुलना में इस बार 10 हजार से अधिक लोगों ने आदि कैलाश के दर्शन किये हैं। इससे हमारे इन क्षेत्रों को आर्थिक रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।

मुख्यमंत्री की घोषणाएं

इस माैके पर मुख्यमंत्री ने मक्काना से सेकला तक मोटरमार्ग का निर्माण, आपदा प्रभावित क्षेत्र लुमती तोक बगीचा बगड़ में सुरक्षा दीवार का कार्य, मवानी रवानी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण और तेजम में मिनी स्टेडियम का निर्माण के साथ ही तीनखोल ढुंगातोली और पण्डा में चेक डैम निर्माण करने की घोषणा की।

इस अवसर पर केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, विधायक बिशन सिंह चुफाल,हरीश धामी, जिलाध्यक्ष भाजपा गिरीश जोशी, जिलापंचायत अध्यक्ष दीपिका बोरा,ब्लाक प्रमुख धारचूला धन सिंह धामी, जिलाधिकारी पिथौरागढ़ विनोद गिरी गोस्वामी और पुलिस अधीक्षक रेखा यादव उपस्थित थे।

उल्लेखनीय कि अस्कोट रियासत के पाल वंश ने वर्ष 1914 में काली और गोरी नदी के संगम स्थल जौलजीबी में मेले की शुरुआत की गई थी। यह मेला लगभग 110 साल पुराना है। दस दिन तक चलने वाला मेला शुरुआत में पूरी तरह से व्यापारिक था। कोलकाता तक से व्यापारी कारोबार के लिए यहां पहुंचते थे। जौलजीबी मेले सेधारचूला, तल्लाबगड़, गोरीछाल, मुनस्यारी, गर्खा क्षेत्र के लोगों को इस मेले से गहराव जुड़ाव हैं। नेपाल के लोग भी अपने स्थानीय उत्पाद इस मेले में लाते हैं और यहां से अपना रोजमर्रा का सामान खरीदकर ले जाते रहे हैं।

(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

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