गोरखपुर, 10 नवंबर (Udaipur Kiran) । धर्म के यथार्थ को समझने के साथ सनातन संस्कृति के भावों से जुड़कर हम व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों के अनुरूप अपने आप को ढाल सकते हैं। संस्कृति के इसी भाव को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया है गुरुकृपा संस्थान ने।
संस्थान के इस संकल्प का माध्यम बना है प्रति माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीराम चरितमानस के अखंड पाठ का अभियान जिसका सम्पूट है ‘बिस्व भरन पोषण कर जोई, ताकर नाम भरत अस होई’।
मानस पाठ को माध्यम बनाकर शुरू किए गए इस अभियान में कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी (12 नवंबर) 26वां पड़ाव होगी। गुरुकृपा संस्थान के संस्थापक पंडित बृजेश राम त्रिपाठी बताते हैं कि सनातन संस्कृति के मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन के लिए संस्थान कई प्रकल्पों पर काम करता है। इसके अंतर्गत एक तरफ सनातन ग्रंथालय चलाकर वेद, पुराण, शास्त्र, उपनिषद् समेत रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथ पाठकों को पढ़ने हेतु निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ जीवन के प्रत्येक पक्ष में संस्कार, मर्यादा का भान कराने वाले श्रीरामचरितमानस का अखंड पाठ कराया जा रहा है। वह बताते हैं कि मानस पाठ एकादशी अभियान का शुभारंभ 4 नवंबर 2022 को कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन हुआ था। तब से शुक्ल पक्ष की 25 एकादशी को यह अनुष्ठान हो चुका है। इस बार कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी, 12 नवंबर को 26वीं बार मानस के अखंड पाठ का अनुष्ठान होने जा रहा है। दो दिवसीय आयोजन पूर्व की भांति संस्थान के दाउदपुर कार्यालय पर होगा।
पंडित बृजेश राम त्रिपाठी के अनुसार मानस पाठ के इस धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक अनुष्ठान का ध्येय समाज और राष्ट्र के साथ विश्वकल्याण है। उन्होंने बताया कि इस बार 12 नवंबर (मंगलवार) को देवोत्थान एकादशी पर श्रीरामचरितमानस के अखंड पाठ का शुभारंभ अभिजीत मुहूर्त में होगा। इसकी पूर्णता 13 नवंबर (बुधवार) को शालिग्राम तुलसी विवाह के आयोजन तत्पश्चात पूर्णाहुति, हवन, प्रसाद, भोग भंडारा के साथ होगी। इसमें पूज्य संत-महंत, सन्यासीजन का आशीर्वाद प्राप्त होगा तो हर बार की भांति बड़ी संख्या में गृहस्थजन की स्वतः स्फूर्त सहभागिता रहेगी।
अक्षयपात्र में बनेगा भंडारा का प्रसाद
अपनी विशिष्ट कार्य शैली से पूर्वांचल में विशेष पहचान बनाने वाले गुरुकृपा संस्थान ने धार्मिक-आध्यात्मिक आयोजनों में भोजन प्रसाद की पवित्रता व शुद्धता के लिए भी एक विशेष पहल की है। संस्थान की तरफ से इसके लिए विशेष प्रकार के बर्तन की व्यवस्था की गई है, जिसे अक्षयपात्र नाम दिया गया है। इसमें कभी भी लहसुन प्याज का प्रयोग नहीं किया जाता है। अक्षयपात्र को मूर्ति पूजा, सार्वजनिक भंडारा, गुरुमंत्र पूजन, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश, मानस पाठ, श्रीमद्भागवत कथा और अन्य धार्मिक-मांगलिक आयोजनों के लिए उपलब्ध कराया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी पर मानस पाठ की पूर्णता के बाद अक्षयपात्र में ही भंडारा प्रसाद पकाया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय