हरिद्वार, 8 नवंबर (Udaipur Kiran) । वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर गिरीश नाथ झा ने कहा कि आयोग की ओर से 30 लाख से अधिक तकनीकी शब्दों का निर्माण किया जा चुका है। इन शब्दों का एआई के माध्यम से अंकीकरण का कार्य तेजी से किया जा रहा है।
प्रोफेसर झा शुक्रवार को हरिओम सरस्वती पीजी कॉलेज धनौरी में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। मीडिया माध्यमों में नई तकनीकी शब्दावली का निर्माण विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आयोग निरंतर वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दों के निर्माण की दिशा में कार्य कर रहा है। उन्होंने आयोग की विभिन्न योजनाओं के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी।
वरिष्ठ पत्रकार कुमार अतुल ने कहा कि मीडिया माध्यमों के लिए नई तकनीकी शब्दावली का निर्माण मौजूदा समय की जरूरत है।
चमन लाल महाविद्यालय लंढौरा के प्राचार्य डॉ. सुशील उपाध्याय ने कहा कि मीडिया माध्यमों ने शब्दों को मूल भाषा के अनुसार स्वीकार किया है। मीडिया ने सभी भाषाओं को मिलाकर अपनी अलग भाषा बनाई है। यह आम बोलचाल की भाषा है।
तकनीकी सत्र को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अजीत सिंह तोमर, योगाचार्य डॉ. अंकित सैनी, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के सहायक वैज्ञानिक अधिकारी तथा संगोष्ठी के प्रभारी अधिकारी डॉ. आकाश मोहन रावतव व कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर अंजु शर्मा ने भी विचार रखे।
संचालन डॉ. योगेश योगी ने किया। कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालय से आए 100 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर राजकीय डिग्री कॉलेज मरगूबपुर की प्राचार्य डॉ. रीता सचान, राजकीय महाविद्यालय पाबो पौड़ी के डॉ. धनेन्द्र कुमार, एसएमजेएन कॉलेज हरिद्वार से डॉ. रेनू सिंह, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. लता शर्मा, मैथोडिस्ट गर्ल्स पीजी कॉलेज रुड़की से डॉ. वंदना चौहान डॉ. अनुपमा वर्मा उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय से डॉ. परविंदर कुमार, डॉ. अनुरिशा धनोरी डिग्री कॉलेज से डॉ. गौरव मिश्रा, डॉ. अर्पित सिंह, डॉ. शौर्यआदित्य, डॉ. मुकेश गुप्ता, डॉ. अनिल कुमार कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल से आंचल, एसडी कन्या महाविद्यालय रुड़की से काजल त्यागी सहित सहित प्रांत के विभिन्न महाविद्यालयों के प्रतिनिधि प्राध्यापकों ने भाग लिया।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला