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सड़क दुर्घटना में सिर की चोट से कोमा में गई महिला बिना सर्जरी हुई स्वस्थ

सड़क दुर्घटना में सिर की चोट से कोमा में गई महिला बिना सर्जरी हुई स्वस्थ
सड़क दुर्घटना में सिर की चोट से कोमा में गई महिला बिना सर्जरी हुई स्वस्थ

अजमेर, 6 नवम्बर (Udaipur Kiran) । सड़क दुर्घटना में सिर की चोट से कोमा में गई पुष्कर के निकट नांद गांव निवासी 58 वर्षीय महिला तकरीबन 25 दिन अजमेर के मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में उपचार लाभ प्राप्त करने के बाद बिना सर्जरी स्वस्थ होकर घर लौट गई। इन 25 दिनों में से 15 दिन पीड़ित को वेंटीलेटर पर आईसीयू में रखा गया। मित्तल हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ ए आर गौरी ने पीड़ित का उपचार किया।

पीड़ित महिला गांव से शहर की ओर जाते हुए मोटरसाइकिल के किसी गड्ढे में कूदने से चोटिल हो गई थी। महिला को माथे पर इतनी गंभीर चोट लगी थी कि वह दुर्घटना के समय सिर्फ एक बार चीखी उसके बाद खामोश और बेसुध हो गई। पीड़ित को पहले पुष्कर में ही नजदीकी हॉस्पिटल में चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार दिया गया जहां से उसे मित्तल हॉस्पिटल रेफर किया गया।

मित्तल हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ ए आर गौरी ने बताया कि पीड़ित को सिर से चोटिल अवस्था में जब हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया था तो वह पूर्ण रूप से बेसुध थी। उसके माथे पर आई चोट के कारण काफी खून बह निकला था। पीड़ित की आंखें बंद थी। एक हाथ और एक पैर में किसी भी तरह की हलचल नहीं थी। महिला की प्रारम्भिक जांच में पाया कि चोट के कारण उसके सिर में अंदरूनी रक्त स्त्राव के कारण रक्त जमा था और सूजन थी।

डॉ गौरी ने बताया कि पीड़ित तकरीबन 15 दिन तक आईसीयू में भर्ती रही जहां उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया। उनके शरीर के सभी अंगों को पूरी ऑक्सीजन पहुंचे यह सुनिश्चित किया गया। इसके लिए जो भी अपेक्षित था वह दवाइयां देकर उनका जीवन रक्षित बनाए रखने के प्रयास किए गए। धीरे धीरे पीड़ित महिला के सिर की अंदरूनी सूजन कम हुई, उपचार लगने से महिला ने अगले दिनों में पहले आंखें खोली फिर उसकी याददाश्त भी लौटने लगी। पीड़ित ने परिवारजनों को पहचाना। वह हाथ व पैर भी हिलाने लगी। 20 दिन बाद वह खुद से खाना खाने और पेशाब व शौच आने पर सूचित करने लगी। पीड़ित को आईसीयू से बाहर लाकर जनरल वार्ड में रखा गया। यहां उपचार लाभ लेते उनके शरीर में श्वास, भोजन, पेशाब के लिए लगाई गई सभी नलियां हटा दी गई।

पीड़ित महिला के पति ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में मिले उपचार से वे पूरी तरह संतुष्ट हैं। उन्होंने डॉ गौरी व नर्सिंग स्टाफ की सराहना की और कहा कि दुर्घटना के वक्त पीड़ित की अवस्था को देखते हुए वे सोच भी नहीं सकते कि दिमाग का गंभीर चोटिल मरीज बिना किसी सर्जरी के स्वस्थ हो सकता है। उन्होंने कहा कि वेंटीलेटर पर उपचारलाभ लेते उन्होंने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी। किन्तु मित्तल हॉस्पिटल के डाक्टर और नर्सिंग स्टाफ की टीम भावना से की गई मेहनत से मरीज ठीक हो गया।

डॉ गौरी ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे सभी सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सा सुविधा मुहैया होने से पीड़ित का रिकवरी रेट अच्छा रहता है। उन्होंने कहा कि रोगी पर टीम भावना से ध्यान रखा जाता है तो उसके परिणाम सुखद ही मिलते हैं। मित्तल हॉस्पिटल में आॅपरेशन थियेटर से लेकर जनरल वार्ड तक मरीज के प्रति संवेदनशील होकर बिना भेदभाव समान चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाती है।

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(Udaipur Kiran) / संतोष

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