ग्वालियर, 02 नवंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत मध्य प्रदेश के ग्वालियर में चौथे दिन शनिवार को 1857 के स्वतंत्रता समर की महानायिका वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल पहुंचे। इस अवसर पर ग्वालियर विभाग संघचालक प्रह्लाद सबनानी, क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य यशवंत इंदापुरकर, विभाग सहसंघचालक रवि अग्रवाल, विभाग कार्यवाह विजय दीक्षित, नवनीत शर्मा आदि ने डॉ. मोहन भागवत की अगवानी की। यहां सरसंघचालक डॉ. भागवत ने रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल की परिक्रमा की और पुष्पांजलि अर्पित कर वीरांगना लक्ष्मीबाई को नमन किया।
दरअसल, ग्वालियर में केदारपुर धाम स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का चार दिवसीय अखिल भारतीय विविध संगठन प्रचारक वर्ग चल रहा है। इस प्रशिक्षण वर्ग में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले सहित संघ के सभी सहसरकार्यवाह और अन्य प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए हैं। प्रचारक वर्ग का शनिवार को तीसरा दिन है। सुबह सत्र की शुरुआत से पहले सरसंघचालक डॉ. भागवत सहित संघ के अन्य पदाधिकारी रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर पहुंचे। यहां मोहन भागवत ने पुष्पांजलि अर्पित कर लक्ष्मीबाई को विनम्र श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सरसंघचालक ने समाधि की परिक्रमा कर हाथ जोड़कर प्रमाण किया।
विभाग संघचालक प्रह्लाद सबनानी ने बताया कि सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जिस शहर में होते हैं, वे उस शहर में मौजूद आजादी के नायक और शहीदों की प्रतिमा पर जाते हैं। इसी कड़ी में वह आज यहां रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर भी पहुंचे। वे कुछ समय यहां रहे और वीरांगना समाधि स्थल का अवलोकन किया। वीरांगना को नमन के बाद मोहन भागवत ने आरएसएस के पदाधिकारियों से परिचय प्राप्त किया। इस दौरान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई समाधि स्थल पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। पूरा समाधि स्थल पुलिस छावनी में तब्दील था।
उन्होंने बताया कि डॉ. भागवत बीते 29 अक्टूबर से ग्वालियर प्रवास पर हैं। वे यहां 31 अक्टूबर को दीपावली के दिन शुरू हुए संघ के विविध संगठन प्रचारक वर्ग में मार्गदर्शन के लिए आए हैं। यह वर्ग 04 नवंबर तक आयोजित हो रहा है। इस वर्ग में देश भर से 31 विविध संगठन के कुल 554 प्रचारक सहभागी हैं। साथ ही सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले सहित संघ के सभी सहसरकार्यवाह तथा अन्य प्रमुख पदाधिकारी भी आए हैं। इसमें समाज के विभिन्न क्षेत्र और वर्ग के बीच संघ कार्यों की समीक्षा और आगामी वर्षों के कार्यक्रमों की रूपरेखा पर चर्चा हो रही है। सबसे बड़ा मुद्दा हिंदू समाज में सामाजिक समरसता है।
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(Udaipur Kiran) तोमर