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स्थाई लोक अदालत : बीमा कंपनी को दावा राशि और ब्याज मय राशि अदा करने के आदेश 

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जोधपुर, 2 नवम्बर (Udaipur Kiran) । स्थाई लोक अदालत जोधपुर महानगर ने परिवाद मंजूर करते हुए कहा है कि छोटी मोटी बीमारी से व्यक्ति के ग्रसित होने और बीमा प्रस्तावना प्रपत्र में इन्हें छिपाने के आरोप में बीमा नहीं करने या दावा खारिज करने से तो बीमा व्यवसाय ही चौपट हो जाएगा। अदालत के अध्यक्ष सुकेश कुमार जैन और सदस्य जेठमल पुरोहित तथा माणकलाल चांडक ने मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को दावा राशि 51 लाख 23 हजार 574 रुपए मय 8 फीसदी ब्याज और परिवाद व्यय पांच हजार रुपये दो माह में अदा करने के निर्देश दिए अन्यथा 8 फीसदी अतिरिक्त ब्याज अदा करना होगा।

रीना राजेश मेहता ने अधिवक्ता अनिल भंडारी के माध्यम से परिवाद दायर कर कहा कि उनके पति ने एक्सिस बैंक से अक्टूबर 2020 में आवासीय ऋण लिया, जिसके एवज में मैक्स लाइफ इंश्योरेंस से 56 लाख 72 हजार 353 रुपये की जीवन बीमा पॉलिसी ली। 16 अक्टूबर 2021 को उनके कोकिला बेन अस्पताल में सीने में गांठ का ऑपरेशन हुआ और बाद में एम्स अस्पताल जोधपुर में उनका 18 नवंबर को निधन हो गया। बीमा कंपनी ने उनका दावा यह कहकर खारिज कर दिया कि उनके पति वर्ष 2018 में पेट में अल्सर की वजह से एक दिन के लिए भरती हुए थे और यह बीमारी उन्हें 2010 से थी, लेकिन बीमा करवाते वक्त उन्होंने प्रस्तावना प्रपत्र में इसे छुपाया था।

अधिवक्ता भंडारी ने बहस करते हुए कहा कि जीवन में सामान्य बीमारियां जैसे रक्तचाप,मधुमेह,पेट संबंधी बीमारी व्यक्ति को अनेक बार होती है और कई छोटी मोटी बीमारी व्यक्ति को याद भी नहीं रहती है। उन्होंने कहा कि बीमाधारी की मृत्यु पेट में अल्सर या गैस की वजह से नहीं हुई है सो परिवाद मंजूर किया जाएं। बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि मृत्यु चाहे कोई कारण से हो, लेकिन प्रस्तावना प्रपत्र में बीमारी घोषित नहीं करना ही दावा खारिज किए जाने का पर्याप्त आधार है।

स्थाई लोक अदालत ने परिवाद मंजूर करते हुए कहा कि जानलेवा बीमारी जैसे कैंसर, किडनी, हृदय रोग या लीवर बीमारी होने पर भी यह बीमारी छिपाई जाती है तो जानबूझकर या कपटपूर्वक कार्रवाई मानी जाएगी और इस आधार पर दावा खारिज किया जाना समझ में आता है, लेकिन छोटी मोटी बीमारियों से ग्रसित होने से बीमा कंपनी दावा खारिज करने लगी या बीमा करने से इनकार कर देगी तो बीमा व्यवसाय ही चौपट हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि बीमाधारी को पेट में गैस या पाचन तंत्र की सामान्य बीमारी पूर्व में थी, जो कि जानलेवा बीमारी नहीं थी बल्कि उनकी मृत्यु अन्य रोग से हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसे में दावा राशि में 10 फीसदी कटौती हो सकती है। उन्होंने मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया कि दो माह में 51 लाख 23 हजार 574 रुपये मय 8 फीसदी ब्याज और परिवाद व्यय पांच हजार रुपये बकाया किस्त के एक्सिस बैंक को अदा करें और शेष राशि परिवादी को भुगतान करें। दो माह में अदा नहीं करने पर बीमा कंपनी को 8 फीसदी अतिरिक्त ब्याज भी देना होगा।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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