कोलकाता, 2 नवंबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनिपुर जिले की मेदिनिपुर विधानसभा सीट पर इस महीने होने वाले उपचुनाव में चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार हैं। हालांकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार के पक्ष में तीन प्रमुख कारण काम कर रहे हैं, जिससे उन्हें अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त मिल रही है।
मेदिनिपुर में तृणमूल कांग्रेस का मजबूत संगठनात्मक आधार है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में टीएमसी का संगठित प्रभुत्व देखने को मिलता है। दूसरा लाभ पिछले चुनावी रिकॉर्ड का है। मेदिनिपुर में 2011, 2016 और 2021 के विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है। तीसरा लाभ विपक्ष के मतों में बंटवारा है, क्योंकि कांग्रेस और सीपीआई(एम)-नीत वाम मोर्चा के बीच कोई गठबंधन नहीं है, जिससे उपचुनाव में चौतरफा मुकाबला बन गया है।
इस बार तृणमूल ने अपने स्थानीय संगठनात्मक चेहरे सुजॉय हाजरा को उम्मीदवार बनाया है। वे 2021 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले अपनी पार्टी की जीत के अंतर को 24 हजार से अधिक वोटों तक बढ़ाने का आत्मविश्वास रखते हैं।
मेदिनिपुर विधानसभा में यह उपचुनाव इसलिए हो रहा है क्योंकि पहले की तृणमूल कांग्रेस विधायक और अभिनेत्री से राजनेता बनीं जून मालिया इस वर्ष के आम चुनावों में मेदिनिपुर लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई हैं।
हाजरा के निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के शुभजीत रॉय, सीपीआई के मनी कुंतल खामरुई और कांग्रेस के श्यामल कुमार घोष हैं।
प्रशासन को मतदान के दिन इस क्षेत्र में कुछ अप्रिय घटनाओं की आशंका है, क्योंकि अब तक की प्री-पोल हिंसा की रिपोर्ट केवल मतदान 13 नवंबर को और मतगणना 23 नवंबर को होगी। से आई है। यह उन छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है, जहां 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे।
1982 से 2011 तक यह सीट वामपंथियों का पारंपरिक गढ़ रहा है, जहां लगातार छह बार वाम मोर्चा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। हालांकि, 2011 में सत्ता का समीकरण तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में बदल गया, जिसने पश्चिम बंगाल में 34 वर्षों के वामपंथी शासन का अंत और टीएमसी के शासन का आरंभ किया। तब से लेकर अब तक 2011, 2016 और 2021 में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों ने यहां लगातार जीत दर्ज की है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर