– हस्तशिल्प और सांस्कृतिक उत्सव में आए दिन उमड़ रही शिल्प और कला प्रेमियों की भीड़
झज्जर, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बहादुरगढ़ में चल रहे नेशनल आर्ट एंड क्राफ्ट फेस्टिवल कम एग्जिबिशन में सोमवार को हजारों शिल्प कला प्रेमी पहुंचे। लोगों ने देश के ख्याति प्राप्त शिल्पियों की कृतियों का अवलोकन किया और जमकर खरीदारी भी की। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त काष्ठ शिल्पी चंद्रकांत बोंदवाल समेत तमाम कलाओं के शिल्पकारों ने जिज्ञासुओं को अपनी-अपनी शिल्प कला के गुर सिखाए।
बहादुरगढ़ के सेक्टर 6 में नाबार्ड के सहयोग से प्राचीन कारीगर संगठन द्वारा 10 दिवसीय नेशनल आर्ट एंड क्राफ्ट फेस्टिवल कम एग्जिबिशन का आयोजन किया गया है। राजस्थान से ब्लॉक प्रिंट के नेशनल अवार्ड प्राप्त कलाकार राजकुमार पांडे ने सोमवार को सांगानेर प्रिंट के बारे में बारीकी से अवगत कराया। बहादुरगढ़ निवासी नेशनल अवॉर्डी काष्ठ शिल्पी चंद्रकांत बोंदवाल ने मेले में आए जिज्ञासुओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर नाम कमा चुकी अपनी हाथी दांत और चंदन की लकड़ी पर कलाकारी के गुर सिखाए।
गुजरात से आए दामजी भाई ने कपास और भेड़ की ऊन से बने हुए ताने-बाने के विषय में बताया। उन्होंने बताया कि पहले धागा बनाया जाता है उसके बाद धागे की रंगाई उसके बाद कपड़ा बनाया जाता है। उनकी ये कला प्राकृतिक और परंपरागत है, जो हथकरघा में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुकी है।
जोधपुर से आए निपुण चौधरी ने छोटी-छोटी ग्लास बीड्स से ज्वेलरी बनाने की शिल्प कला को हरियाणा प्रदेश के लोगों को सिखाया। इसमें वह प्लास्टिक, नायलॉन के धागे को विभिन्न कलर के ग्लास बीड में प्रयोग कर विभिन्न डिजाइनों के आकर्षक नेकलेस, माला, कान की झुमकी वह अन्य खूबसूरत गहने तैयार करते हैं।
दूसरी तरफ नाबार्ड द्वारा सपोर्टेड किसान समूह कंपनी ने ऑर्गेनिक तरीके से फार्मिंग व अन्य खाद्य पदार्थ को कैसे सुरक्षित और उत्पादित किया जाता है उसके बारे में लोगों को जानकारी दी। हिमाचल प्रदेश से आए मनोज कौशल ने बताया कि वह ऑर्गेनिक हल्दी का उत्पादन करते हैं। उसके साथ-साथ अखरोट, हिमाचली बादाम व अन्य पहाड़ी जड़ी बूटियों का उत्पादन करते हैं। जिससे सुरक्षित वह स्वास्थ्य पूर्वक जीवन प्राप्त किया जा सकता है l
भारतीय सेना से सेवानिवृत मनोज कुमार कौशल ने कहा कि वह पहाड़ी क्षेत्र में पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अकेले जंग लड़ रहे हैं। उन्होंने हल्दी के खास गुण बताए। उनकी बातों में लोगों ने खूब रुचि दिखाई।
एम.एस.एम.ई की डायरेक्टर नीलिमा से प्रेरित हो बेकरी में महारत प्राप्त बहादुरगढ़ के रहने वाली वंशिता व कोमल द्वारा बनाई चॉकलेट व केक भी मेले में खूब पसंद की जा रही हैं। ये दोनों बहन अपनी मां अमृता चांडक से हौसला लेकर उत्पादन को महिला संगठन के साथ आगे बढ़ा रही हैं।
पंजाब के लुधियाना से आई राजेंद्र कौर ने बताया कि उन्होंने अचार बनाने में महारत हासिल की है। उनके गांव की लगभग डेढ़ सौ महिलाएं उनके साथ अचार उत्पादन में लगी हुई हैं। वह पंजाब से लेकर सभी राज्यों में अपना अचार भेजती हैं। यह सब नाबार्ड के सहयोग से चल रहा है।
पंचकूला से आया स्वयं सहायता समूह पंजा दरी में काम कर रहा है। हरियाणा और पंजाब की फुलकारी कला के सूट दुपट्टे महिलाओं को खूब अपनी ओर खींच रहे हैं। इनको तैयार करने वाली सेल्फ हेल्प ग्रुप की सदस्य महिलायें मेले में आगंतुकों को बड़े प्रेम से इस कल का तरीका बताती हैं।
प्राचीन काल से ही लाख की चूड़ियों का अपना महत्व है। राजस्थान से आए लाख के शिल्पकार लाख से चूड़ियां बनाने का लाइव डेमो दे रहे हैं। महिलाओं को लाख की चूड़ियां पहनने के फायदे भी समझ रही हैं। बहादुरगढ़ में चल रहा यह हस्तशिल्प एवं सांस्कृतिक उत्सव दीपावली से पूर्व 30 अक्टूबर की शाम तक चलेगा।
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(Udaipur Kiran) / शील भारद्वाज