वाराणसी, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आगामी 25 साल भारत की प्रगति के लिए स्वर्णिम काल सिद्ध होंगे। नियति ने हमारे भाग्य में देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की नंबर एक अर्थव्यवस्था बनना लिखा है। पूरी दुनिया आज भारत को बड़ी आशाओं से देख रही है। विश्व की समस्याओं के समाधान की कुंजी अविनाशी काशी और आईआईटी बीएचयू जैसे संस्थान में ही हैं। उम्मीद है अपने बौद्धिक क्षमता से हमारे विद्यार्थी भारत और सम्पूर्ण विश्व की आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। मंत्री प्रधान सोमवार को आईआईटी बीएचयू के 13वें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
परिसर स्थित स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित समारोह में केंद्रीय मंत्री ने कुल 60 मेधावी विद्यार्थियों को 125 मेडल प्रदान किए। संस्थान में सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन और संगठनात्मक व नेतृत्व क्षमता प्रदर्शित करने के लिए मेधावी भव्या मल्होत्रा, बीटेक, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को डाइरेक्टर्स स्वर्ण पदक समेत 12 स्वर्ण पदक, एक रजत पदक और तीन पुरस्कार दिया गया। समारोह में बीटेक स्तर पर शैक्षणिक क्षेत्र में संपूर्ण उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए आदित्य कुमार नायक, बीटेक, केमिकल इंजीनियरिंग को प्रेसीडेंट्स स्वर्ण पदक समेत सात स्वर्ण पदक और दो पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस दौरान डिजिलॉकर पर 1954 उपाधियां अपलोड की गईं।
प्रधान ने कहा कि 21वीं शताब्दी भारत की शताब्दी है। चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत के पास दुनिया के लोककल्याण का नेतृत्व करने का अद्भुत अवसर है। इस दिशा में आईआईटी बीएचयू के विद्यार्थी अपना दायित्व निभाएंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। युवाओं को जॉब सीकर नहीं जॉब क्रिएटर बनना है। आज चुनौती इसी विषय की है। आने वाले 25 साल में भारत अमृतकाल में रहेगा। आजादी के एक सौ साल पूरा करेंगे। इस दौरान भारत दुनिया का सबसे युवा देश भी रहेगा। दुनिया की अन्य देशों की तुलना में सबसे युवा रहेंगे। आज हमारी अर्थव्यवस्था की साइज तीन ट्रिलियन डॉलर है। आने वाले दिनों में पांच से आठ ट्रिलियन तक पहुंचना है। तब अगर हम जॉब सीकर बनेंगे तो जॉब क्रियेट कौन करेगा।
उन्होंने कहा कि आज अमेरिका, चीन और यूरोप, ये तीनों में जितना डिजिटल पेमेंट होता है, भारत में उससे ज्यादा होता है। ये आपने करके दिखाया है। टीबी, मलेरिया, पोलियो को नियंत्रित करने में हमें दशकों इंतजार करना पड़ा। हमने कोविड महामारी में भी न सिर्फ 225 करोड़ डोज वैक्सीन लगाया, बल्कि एक सौ से ज्यादा देशों में वैक्सीन पहुंचाई भी। ये आज के नए भारत के लिखते विकास की इबारत को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा कि रिन्युएबल एनर्जी, सस्टनेबल एनर्जी, न्यू एनर्जी, पूरी दुनिया को इसकी अपेक्षा भारत से ही है। ये सारे काम साधारणतया एक तकनीकी विश्वविद्यालय ही कर सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत में अभी भी पांच चुनिंदा जीवंत शहर हैं, उनमें से एक शहर बनारस भी है, जहां आपने कुछ पल बिताया। काशी भारत की दर्शन तथा पाली, प्राकृत, संस्कृत और तमिल जैसी प्राचीनतम भाषाओं का संगम है। काशी जैसे जीवंत सभ्यता से जुड़ना परम् सौभाग्य है। मंत्री ने कहा कि काशी की कसौटी पर जो खरा उतरता है, वो सोना कहीं का भी हो, बनारसी कहलाता है। काशी की गलियों में कई महापुरुषों ने कदम रखे। आज मेडल पाने वाले सभी विद्यार्थी किसी भी मायने में उन महापुरुषों से कम नहीं हैं। 2020 में एनईपी के क्रियान्वयन के बाद निकलने वाला यह पहला बैच है।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने उपाधि और मेडल पाने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देकर कहा कि जब पहली औद्योगिक क्रांति हुई थी तो भारत पराधीन था। पिछले पांच सदी की बात करें तो औद्योगिक क्रांति में भारत कहीं नहीं था। अभी चौथा औद्योगिक क्रांति चल रहा है, जिसमें भारत दुनिया का नेतृत्व करेगा और आईआईटी बीएचयू देश में उसका नेतृत्व करेगा। समारोह में संस्थान के विभिन्न पाठ्यक्रमों के 1959 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई। इसमें 1060 बीटेक, 319 आईडीडी, 263 एमटेक/एमफार्मा और 49 एमएससी और 253 शोधार्थियों को डॉक्टरेट की डिग्री दी गई। इस दौरान मंच पर बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन पद्मश्री डाॅ. कोटा हरिनारायन, संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा उपस्थित रहे।
संचालन शैक्षणिक कार्य के अधिष्ठाता प्रोफेसर श्याम बिहारी द्विवेदी ने किया। इससे पहले समारोह का शुभारम्भ भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यापर्ण, दीप प्रज्ज्वलन, वैदिक मंत्रोच्चार और कुलगीत के साथ हुआ। दीक्षांत समारोह के आरम्भ की घोषणा संचालक मंडल के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. कोटा हरिनारायन ने की। इसके बाद संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने संस्थान की उपलब्धियों को बताया।
दीक्षांत समारोह में कुल 08 पूर्व छात्रों को विशिष्ट एलुमिनस/एलुमिना पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया। इनमें प्रोफेसर अनुज श्रीवास्तव (इलेक्ट्रॉनिक्स-90) को एकेडमिक क्षेत्र में, उद्योग/उद्यमिता क्षेत्र में अनिल के. सचदेव (मेटलर्जिकल-71) और डी. गोस्वामी (मैकेनिकल-74) को सम्मानित किया गया। वहीं, डॉ. वीके रैना (सिविल-61) को प्रोफेशन क्षेत्र में, डॉ. अवधेश कुमार सिंह (मैकेनिकल-87) को पब्लिक लाइफ, डॉ. हेमा सिंह (इलेक्ट्रॉनिक्स-2000) को रिसर्च एंड इनोवेशन और डॉ. सुदीप्ता दत्ता (इलेक्ट्रिकल-2007) और शुभम पालीवाल (इलेक्ट्रॉनिक्स-2013) को यंग अलुमिनस एचीवर अवार्ड से सम्मानित किया गया। पुरस्कारों की घोषणा अधिष्ठाता (संसाधन एवं पुरा छात्र) प्रोफेसर हीरालाल ने की।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी