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बीमा मुआवजे पर ब्याज दर बढ़ाने के आदेश

jodhpur

-अधिकरण के समक्ष लिखित जवाब के विपरीत जाकर नया तर्क पेश नहीं कर सकती है बीमा कंपनी: हाईकोर्ट

जोधपुर, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय की न्यायाधीश डॉ नूपुर भाटी ने अपने विस्तृत फैसले में यह प्रतिपादित किया है कि अधिकरण के समक्ष लिखित जवाब के विपरीत जाकर बीमा कंपनी नया तर्क पेश कर मृतक कार चालक की दुर्घटना में लापरवाही नहीं बता सकती है। उन्होंने मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण जोधपुर महानगर द्वारा मुआवजे पर ब्याज दर को छह फीसदी से बढ़ाकर नौ फीसदी ब्याज दर से भुगतान करने का बीमा कंपनी को निर्देश दिया है।

गत आठ सितम्बर 2014 को हुई वाहन दुर्घटना में कार में सवार चारों व्यक्तियों की ट्रक ट्रोला चालक की लापरवाही से हुई टक्कर में मौत हो गई। तीन मृतकाें के दावेदार की ओर से हाइकोर्ट के समक्ष बहस करते अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि अधिकरण ने प्रथम सूचना रपट, चार्जशीट आदि दस्तावेज से सही निष्कर्ष निकाला कि दुर्घटना ट्रक ट्रोला चालक की गलती से हुई है इसलिए न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी मुआवजे के वास्ते छह फीसदी ब्याज सहित जवाबदेह है। अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि वर्तमान ब्याज दर को देखते हुए नौ फीसदी ब्याज दिलाया जाएं। बीमा कंपनी की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर नक्शा मौका पेश कर कहा गया कि कार चालक ने गलत दिशा में आकर सामने से आ रहे ट्रक को टक्कर मारकर दुर्घटना कारित की है इसलिए अपील मंजूर कर दावा खारिज किया जाएं।

राजस्थान उच्च न्यायालय की न्यायाधीश डॉ. नूपुर भाटी ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अधिकरण के समक्ष बीमा कंपनी ने यह जवाब दिया कि कोहरे के कारण खड़े ट्रक ट्रोला को कार चालक ने पीछे से आकर टक्कर मारी लेकिन हाइकोर्ट के समक्ष पेश अपील और बहस में इससे बिलकुल ही विपरीत जाकर यह तर्क कतई माने जाने योग्य नहीं है कि कार चालक ने गलत दिशा में जाकर सामने से आ रहे ट्रक ट्रोला को टक्कर मारी हो। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी अपने जवाब से बाधित है और उन्हें अब विरोधाभाषी तर्क की अनुमति नहीं दी सकती है। उन्होंने कहा कि दावेदारों ने प्रथम सूचना रपट और चार्जशीट से यह साबित किया है कि दुर्घटना ट्रक चालक की लापरवाही और गलती से हुई है, जबकि बीमा कंपनी ने अधिकरण के समक्ष न तो कोई गवाह पेश किया और न ही ट्रक ट्रोला चालक और मालिक को अधिकरण के समक्ष प्रतिपरीक्षण के वास्ते बुलाने का कोई प्रयास किया। उन्होंने कहा कि नक्शा मौका वैसे भी दुर्घटना के 27 घंटे बाद बना है। उन्होंने बीमा कंपनी का अपील के दौरान नक्शा मौका और फोटो को रिकॉर्ड पर लेने के आवेदन को खारिज कर दिया कि उसमें कोई समुचित कारण नहीं बताया गया है। उन्होंने एक दावेदार की ओर से मृतक के आयकर रिटर्न आंकलन वर्ष 2012-13 को मोटर वाहन अधिनियम कल्याणकारी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए रिकॉर्ड पर लेते हुए अधिकरण द्वारा न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से तय मुआवजे को वास्तविक आय के अनुरूप मुआवजा राशि निर्धारित करने के आदेश दिए। उन्होंने एक मृतक की आयु 35 वर्ष 2 माह होने पर 36 वर्ष के अनुरूप अधिकरण द्वारा गुणक को गलत बताते हुए 35 वर्ष की आयु मानते हुए आय पर 15 की बजाए 16 का गुणक निर्धारित किया। साथ ही उन्होंने बैंक में फिक्स डिपॉजिट की ब्याज दर को ध्यान में रखते हुए अधिकरण द्वारा पारित ब्याज दर 6 फीसदी को बढ़ाकर 9 फीसदी ब्याज दर से मुआवजा अदा करने का आदेश पारित किया।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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