हरिद्वार, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) ।आयुर्वेद दिवस के अवसर पर आयुष्मान आरोग्य मंदिर एवं ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी के तत्वावधान में आयुर्वेद अनुसंधान, नवाचार एवं औषधि गुणवत्ता विषय पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में आयुर्वेद के विशेषज्ञों ने अनुसंधान, गुणवत्ता एवं नवाचार को लेकर अपनी बात साझा की।
जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, हरिद्वार डॉ. स्वास्तिक सुरेश ने कहा कि आयुर्वेद केवल एक उपचार पद्धति नहीं, बल्कि जीवन को स्वस्थ रखने का एक संपूर्ण विज्ञान है। आज के समय में जब नई-नई बीमारियों का उभार हो रहा है, अनुसंधान और नवाचार की मदद से आयुर्वेदिक औषधियों की प्रभावशीलता को और बेहतर बनाया जा सकता है।
नोडल अधिकारी डॉ. अवनीश उपाध्याय ने कहा कि औषधि निर्माण की गुणवत्ता आयुर्वेद की प्रभावशीलता के लिए जरूरी है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आयुर्वेदिक औषधियाँ मानकों के अनुसार तैयार हों। आधुनिक परीक्षण और शोध के जरिए औषधियों की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता। डॉ. उपाध्याय ने आगे कहा कि राष्ट्रीय आयुष मिशन का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद को एक सुदृढ़ वैज्ञानिक आधार प्रदान करना है। आयुर्वेद केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है।
आयुष्मान आरोग्य मंदिर सालियर के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. नवीन दास ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के द्वारा हम विभिन्न प्रकार के गैर संचारी बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज कर रहे हैं। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अश्विनी कौशिक ने कहा नवाचार और अनुसंधान किसी भी चिकित्सा पद्धति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आयुर्वेद में भी आधुनिक उपकरणों और तकनीकों के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित रखते हुए औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिए।
ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी हरिद्वार के हर्बल चिकित्साधिकारी डॉ. सौरभ प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि आयुर्वेद सिद्धांतों के अनुसार, प्रत्येक दोष की अपनी विशेषताएँ, कार्य और गुण होते हैं, जो हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. भास्कर आनंद शर्मा एवं डॉ. रेनू सिंह द्वारा भी आयुर्वेद विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए गए।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला